भारत-नेपाल सीमा: निगरानी के लिए अब नेपाल सीमा पर बढ़ाया जाएगा सुरक्षा चक्र, बनेंगी दो नई पुलिस चौकियां 

उत्तराखंड से लगी नेपाल सीमा पर निगरानी का जिम्मा मुख्य रूप से एसएसबी के कंधों पर है। एसएसबी बॉर्डर आउटपोस्ट के जरिये सीमा पर निगरानी रखती है,

नेपाल सीमा पर तैनात जवान
नेपाल सीमा पर तैनात जवान 

 उत्तराखंड से लगी नेपाल सीमा पर निगरानी का जिम्मा मुख्य रूप से एसएसबी के कंधों पर है। एसएसबी बॉर्डर आउटपोस्ट के जरिये सीमा पर निगरानी रखती है, लेकिन अब सीमांत के इलाकों पर पुलिस का सुरक्षा चक्र भी बढ़ेगा। इसके लिए सीमा से लगे गांवों में पुलिस की दो चौकियां बनाई जाएंगी। जमीन की तलाश का काम भी पूरा कर लिया गया है। 



चंपावत जिले के आठ थानों में से चार (बनबसा, टनकपुर, तामली और पंचेश्वर) नेपाल सीमा के एकदम करीब हैं। नेपाल सीमा के पास से बन रही टनकपुर-जौलजीबी सड़क और प्रस्तावित पंचेश्वर बांध के मद्देनजर ये चौकियां ग्रामीण सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं। सड़क का निर्माण चूका तक हो चुका है।



यहां के तमाम गांवों की सुरक्षा और नेपाल की गैरकानूनी गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए चूका और पंचेश्वर घाट पर पुलिस चौकियां का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए भूमि का चयन कर लिया गया है। टनकपुर के सीओ अविनाश वर्मा और एसडीएम हिमांशु कफल्टिया ने चूका की जमीन का मुआयना कर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट सौंप दी है। 

तस्करी पर भी लग सकेगी लगाम 

चंपावत जिले की 90 किलोमीटर सीमा नेपाल से लगी है। दोनों देशों को काली नदी विभाजित करती है। कई जगह नदी की चौड़ाई बेहद कम है। इससे न केवल नदी को आरपार करना आसान रहता है, बल्कि वन्य जंतु और चरस की तस्करी के अलावा कई अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के भी मामले आते रहे हैं। ऐसे में 90 किमी सीमा पर एसएसबी की 19 बीओपी के साथ पुलिस की चौकियों से सुरक्षा घेरा मजबूत होगा। 


नेपाल सीमा पर अब तक ये हैं पुलिस चौकी 

बनबसा बैराज, मनिहारगोठ, बूम और ठुलीगाड़। 


नेपाल सीमा पर प्रस्तावित दोनों पुलिस चौकियों के लिए भूमि का चयन कर लिया गया है। प्रस्ताव राज्य पुलिस मुख्यालय भेजा गया है, जहां से शासन भेजा गया है। मंजूरी मिलने के बाद चौकी निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इन चौकियों से गांवों की सुरक्षा और यातायात आवाजाही को व्यवस्थित किया जा सकेगा।

-लोकेश्वर सिंह, एसपी, चंपावत।

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