महाभारत में एक से बड़े एक महायोद्धा थे, गंगापुत्र भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य, अंगराज कर्ण, अश्वथामा, भीम, अर्जुन, दुर्योधन इत्यादि. किन्तु कुछ ऐसे भी योद्धा इस कथा से सम्बंधित हैं जिनका उल्लेख बहुत कम होता है. आज हम उन्ही में एक महान योद्धा बब्रुवाहन की बात करेंगे. आइये जानते है उनके बारे में ...
कौन थे बब्रुवाहन ?
अश्वमेधिक पर्व अध्याय 79 के अनुसार बब्रुवाहन पांडुपुत्र अर्जुन तथा मणिपुर के राजा चित्रवाहन की पुत्री राजकुमारी चित्रांगदा के पुत्र थे. इस प्रकार बब्रुवाहन मणिपुर के राजकुमार हुए. साथ ही साथ मणिपुर के राजा चित्रवाहन जी ने राजकुमार बब्रुवाहन को अपने राज्य का उत्तराधिकारी घोषित किया था. इस राज्य पर महाराज चित्रवाहन की मृत्यु के पश्चात बब्रुवाहन ने राज किया.
कैसे हुआ अर्जुन और बब्रुवाहन का युद्ध, कैसे हारे महारथी अर्जुन?
युधिष्ठिर द्वारा आयोजित अश्वमेध यज्ञ की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन्तेय अर्जुन की थी वही पूरे देश में अश्व के साथ भ्रमण कर रहे थे . अश्व जब मणिपुर राज्य में पंहुचा तो बब्रुवाहन ने ससम्मान अपने पिता का हाथ जोड़कर स्वागत किया.
कुछ अन्य महत्वपूर्ण पोस्ट:
जिसे महारथी अर्जुन अन्यथा उनकी दुर्बलता समझ गये और उनको बोलने लगे की तुम क्षत्रिय कुल पर कलंक हो, जो तुमने शस्त्र त्याग दिया और हाथ जोड़ना स्वीकार कर दिया. इस घटना को बब्रुवाहन की सौतेली माँ उल्लुपी देख रही थी.
अर्जुन द्वारा पुत्र बब्रुवाहन के अपमान शब्द सुनकर उल्लुपी सामने आई और बब्रुवाहन को युद्ध करने के लिए सलाह दी, इस सलाह पर पिता-पुत्र के मध्य युद्ध शुरू हो गया .
कुछ अन्य महत्वपूर्ण पोस्ट:
यह युद्ध बहुत भयंकर था, बब्रुवाहन अपने संपूर्ण बल का प्रयोग कर रहे थे जबकि अर्जुन मात्र बब्रुवाहन के तीरों का उत्तर दे रहे थे. अर्जुन ने अपने किसी भी दिव्य शस्त्र के उपयोग नहीं .
बब्रुवाहन ने अंततः अपने एक शक्तिशाली अस्त्र से अर्जुन को मार दिया, और युद्ध बब्रुवाहन की जीत के साथ समाप्त हुआ. उसके बाद उल्लुपी ने अपने एक रहस्यमयी रत्न से अर्जुन को फिरसे पुनर्जीवित कर दिया.
जब अर्जुन को होश आया तो अर्जुन ने तुरंत अपने पुत्र बभ्रुवाहन को गले लगा लिया. बब्रुवाहन से अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगी और अपना आगे की यात्रा पूर्ण किया.