21.2 C
Dehradun
शुक्रवार, सितम्बर 20, 2024

कैलाश पर्वत के राक्षस ताल की कथा, क्यों नहाने के लिए किया जाता है मना?

भगवान शिव का यूँ तो सम्पूर्ण चर-अचर जग है, किंतु उनके निवास कैलाश पर्वत की बहुत सारी कहानियां प्रचलित हैं. उनमें से एक है कैलाश पर्वत के राक्षस ताल की कथा, जानिए क्यों किया जाता है यहाँ नहाने के लिए मना. आइये जानते हैं इस कथा के बारे में और जानें ऐसा क्यों है?

कैलाश पर्वत के राक्षस ताल की सम्पूर्ण जानकारी

कैलाश पर्वत, हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों के लिए एक पवित्र स्थान, अपने रहस्यों और कथाओं के लिए भी जाना जाता है। इनमें से एक रहस्यमय कहानी है राक्षस ताल की, जो कैलाश पर्वत के पास स्थित एक अंधेरी और गहरी झील है।

ये है कैलाश पर्वत के राक्षस ताल की कथा, इस कारण यहां नहाने से किया जाता है मना

राक्षस ताल क्यों है उत्सुकता का केंद्र:

  • राक्षस ताल, राक्षसों का निवास स्थान माना जाता है।
  • राक्षस ताल का पानी इतना गहरा है कि उसकी गहराई का अनुमान लगाना असंभव है।
  • कहा जाता है कि राक्षस ताल में रहने वाले राक्षस, ताल में प्रवेश करने वाले लोगों को डुबो देते हैं।
  • एक किंवदंती के अनुसार, राक्षस ताल में एक विशालकाय राक्षस रहता है जो ताल की रक्षा करता है।
  • कुछ लोगों का मानना ​​है कि राक्षस ताल, एक द्वार है जो एक अदृश्य दुनिया की ओर जाता है।
  • राक्षस ताल के बारे में कई अजीबोगरीब कहानियां प्रचलित हैं, जिनमें से कुछ सच हैं और कुछ कल्पना हैं।

इसके के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

  • राक्षस ताल का पानी अत्यधिक खारा है और उसमें कोई जीव नहीं रह सकता।
  • राक्षस ताल के आसपास का क्षेत्र अत्यधिक ठंडा और निर्जन है।
  • राक्षस ताल तक पहुंचना बहुत मुश्किल है और केवल अनुभवी पर्वतारोही ही वहां पहुंच सकते हैं।
  • राक्षस ताल के बारे में कई वैज्ञानिक अध्ययन किए गए हैं, लेकिन अभी भी इसके कई रहस्य अनसुलझे हैं।

कैलाश पर्वत के रहस्यों में से राक्षस ताल एक है। यह ताल, अपनी अंधेरी गहराई, रहस्यमय कहानियों और अजीबोगरीब घटनाओं के लिए जाना जाता है। राक्षस ताल के बारे में कई वैज्ञानिक अध्ययन किए गए हैं, लेकिन अभी भी इसके कई रहस्य अनसुलझे हैं।

राक्षसताल और गौरीकुंड: कैलाश के रहस्यमय दो ताल

कैलाश पर्वत की पवित्र छाया में, दो जल निकाय शताब्दियों से रहस्य और श्रद्धा को समेटे हुए हैं – राक्षसताल और गौरीकुंड। एक, अंधेरे में डूबा, निषिद्ध स्नान का ताल, तो दूसरा, पवित्रता का स्रोत, जहां माना जाता है कि स्वयं देवी पार्वती स्नान करती हैं।

राक्षसताल, अपने नाम के अनुरूप, अशुभ कहानियों से घिरा है। किंवदंतियों के अनुसार, दशानन रावण ने कभी इस ताल में डुबकी लगाई थी, और माना जाता है कि इसके अंधेरे जल ने उसके मन को अशुभता से भर दिया था। यहाँ स्नान करना निषिद्ध है, कुछ तो इसे शापित भी मानते हैं।

दूसरी ओर, गौरीकुंड पवित्रता की लौ से जगमगाता है। मान्यता है कि यह देवी पार्वती का निजी स्नान स्थल है, और श्रद्धालु आज भी उनके चरण स्पर्श से पवित्र माने जाने वाले जल में डुबकी लगाते हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि देवी स्वयं आज भी नियमित रूप से यहां स्नान करने आती हैं, जिससे इसकी पवित्रता और बढ़ जाती है।

हालाँकि, ये मान्यताएं सदियों से चली आ रही हैं और गहरी श्रद्धा से जुड़ी हैं, लेकिन उनके पीछे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। राक्षसताल और गौरीकुंड का इतिहास और भूगोल रहस्य से भरा हुआ है, लेकिन यह श्रद्धा ही है जो इन जलाशयों को इतना पवित्र और रहस्यमय बनाती है। आखिरकार, विश्वास की शक्ति अथाह है, और यही वह शक्ति है जो कैलाश पर्वत के इन रहस्यमय तालों को पीढ़ी दर पीढ़ी आकर्षित करती रही है।

चाहे आप इन मान्यताओं को मानते हों या नहीं, यह निश्चित है कि राक्षसताल और गौरीकुंड, कैलाश पर्वत की भव्यता को और भी गहरा बनाते हैं। ये रहस्यमय ताल न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से संपन्न हैं, बल्कि सदियों पुरानी परंपराओं और विश्वासों को भी अपने में समेटे हुए हैं। तो अगली बार जब आप कैलाश पर्वत की ओर रुख करें, तो इन रहस्यमय जल तालों के बारे में ज़रूर याद करें, और उनकी कहानियों को अपने दिल में बसा लें।

राक्षस ताल से जुड़ी दशानन रावण की कथा

जगतपिता भगवान शिव के अनन्य भक्तों की बात की जाये तो, दशानन रावण का नाम सर्वप्रथम आता है. यह राक्षस ताल की कथा भी रावण से ही जुड़ी है.

कथा के अनुसार ” रावण एक बार भगवान् शिव जी की सेवा और पूजा करने कैलाश पधारे. अपने आराध्य से मिलने से पूर्व दशानन नहाना चाहते थे, इसलिए अज्ञानवश राक्षस ताल में स्नान कर दिया. राक्षसताल में स्नान करने से रावण के मन पर तामसिक और नकारात्मकता का प्रभाव इतना बढ़ गया की रावण की सुध-बुध खो गयी.

रावण ने मां पार्वतीजी को देखा, जो रावण सहित सम्पूर्ण जग की माता और आदिशक्ति हैं. रावण के मन मोह उत्पन्न हो गया. उसने निर्लज्जता पूर्वक भगवान् जी से उनकी पत्नी को माँगा. किंतु भोले बाबा तो परम दयालु, करुणा स्रोत और सर्वदर्शी हैं.

भगवान् शिवजी की कृपा से रावण को सत्य का भान हुआ और उसने जगत जननी और जगत्पिता से हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना की.

अधिकांश लोगों का मानना है, की रावण की बुद्धि फिरने का कारण राक्षस ताल में स्नान करना है.

राक्षस ताल में न नहाने के वैज्ञानिक कारण

राक्षसकुंड में नहाने से मना करने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी बताया जाता है। कहा जाता है कि इसके पानी में कुछ खास तरह की प्राकृतकि गैसें मिली हुई हैं, जो पानी को थोड़ा जहरीला सा बनाती हैं। हो सकता है कि इसके पानी से आप मरें नहीं, लेकिन इसका आप पर कुछ नकारात्मक असर हो सकता है। इसलिए जो लोग संवेदनशील हैं उनका कहना है कि यह ताल नहाने के लिए ठीक नहीं है।

UHN News Desk
UHN News Desk
उत्तराखंड हिंदी न्यूज की टीम अनुभवी पत्रकारों का एक ऐसा समूह है, जिसका जुनून शब्दों के जादू से सच को आपके सामने लाना है। आठ साल से लगातार उत्तराखंड की खबरों की नब्ज़ टटोलते हुए हम आपके लिए हर विषय पर सटीक, रोचक और विश्वसनीय लेख प्रस्तुत करते हैं।

Related Stories

Top Stories