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शुक्रवार, सितम्बर 20, 2024

राहत: उत्तराखंड पर 15वें वित्त आयोग की मेहरबानी, पांच साल में मिलेंगे 90 हजार करोड़ रुपये

रुपये ( प्रतीकात्मक)
रुपये ( प्रतीकात्मक)

केंद्रीय बजट में ग्रीन बोनस न मिलने से मायूस उत्तराखंड को 15वें वित्त आयोग ने बड़ी राहत दी है। आयोग ने राज्य को राजस्व घाटा व अन्य सेक्टर के लिए अनुदान के रूप में पांच साल के लिए 42,611 करोड़ रुपये देने की सिफारिश की है, इसमें 28,147 करोड़ रुपये राजस्व घाटा अनुदान के हैं। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में पांच साल में 47,234 करोड़ रुपये अलग से मिलेंगे। इस तरह आयोग ने उत्तराखंड के लिए करीब 90 हजार करोड़ (89,845 करोड़) की सिफारिश की है।

पंचम राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष इंदु कुमार पांडेय के मुताबिक, 14वें वित्त आयोग के राजस्व घाटा अनुदान न देने से उत्तराखंड से जो नाइंसाफी हुई थी, 15वें वित्त आयोग ने उसकी भरपाई कर दी। आयोग ने अपनी अंतरिम सिफारिश में उत्तराखंड को राजस्व घाटा अनुदान देने पर सहमति दी थी, लेकिन राज्य को उसकी फाइनल रिपोर्ट का इंतजार था। सोमवार को संसद में पेश आयोग की रिपोर्ट में राजस्व घाटा अनुदान देने का जिक्र है। यह करीब 42,614 करोड़ रुपये होगा।

राजस्व घाटा अनुदान का यह है फायदा

राजस्व घाटा अनुदान का सबसे बड़ा फायदा राज्य सरकार को यह है कि वह इस मद की धनराशि का इस्तेमाल अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकती है। पांच साल में उसे करीब सात हजार करोड़ रुपये सालाना मिलेंगे। अभी राज्य सरकार का प्लान का बजट करीब 11 हजार करोड़ रुपये है। सात हजार करोड़ की धनराशि का इस्तेमाल स्थानीय निकायों के विकास, आपदा प्रबंधन, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, स्वास्थ्य, सांख्यिकीय, न्याय, उच्च शिक्षा, कृषि क्षेत्र के साथ विशेष आवश्यकताओं पर खर्च किया जा सकेगा।

किस मद में कितनी धनराशि की सिफारिश

मद धनराशि(करोड़ में)

राजस्व घाटा अनुदान 28,147

स्थानीय निकाय 4181

स्वास्थ्य 728

सांख्यिकी 25

न्याय 70

उच्च शिक्षा 83

आपदा 5178

राज्य के लिए खास 1600

पीएमजीएसवाई 2322

कृषि में सुधार 277

जमरानी और सौंग के लिए भी अनुदान

राज्य को विशेष अनुदान के तौर पर केंद्र सरकार ने जमरानी और सौंग के लिए भी धनराशि का प्रावधान किया है। राज्य सरकार को जमरानी बांध परियोजना के लिए 950 करोड़ और सौंग बांध परियोजना के लिए 500 करोड़ की धनराशि मिलेगी।

पौड़ी व नैनीताल का भी ख्याल

आयोग ने राज्य के दो बड़े पर्वतीय शहरों का भी ख्याल रखा है। उसने राज्य के लिए खास मद में पौड़ी और नैनीताल को सीवर लाइन और सवच्छता कार्य करने के लिए 50 करोड़ के अनुदान की सिफारिश की है।

वनों को भी मिला वैटेज

राज्य को बेशक ग्रीन बोनस नहीं मिला है, लेकिन 15वें वित्त आयोग ने वनों को महत्व दिया है। अपनी अंतरिम रिपोर्ट में राज्य के वनों के लिए 7.50 प्रतिशत अनुदान का अधिमान (वेटेज) रखा गया था। यह अधिमान केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी के तौर पर तय 47234 करोड़ रुपये में प्रतिबिंबित किया गया है।

15वें वित्त आयोग ने उत्तराखंड के लिए कुल 89,845 करोड़ की सिफारिश की है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारण और 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह व आयोग के सभी सदस्यों का आभारी हूं। इससे उत्तराखंड में विकास कार्यों को संचालित करने में काफी मदद मिलेगी। आयोग ने राज्य के पक्ष को समझा और अपनी अहम सिफारिश दी।

– त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

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UHN News Desk
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