पहाड़ों की सुकूनभरी शीतलता उत्तराखंड में इस बार दहशत के साथ आई है। गुलदार के बढ़ते आतंक ने प्रदेश को हिला कर रख दिया है। आबादी वाले इलाकों में घूमते गुलदार के साथ ही भीमताल क्षेत्र में एक खौफनाक सच सामने आया है – गुलदार अब आदमखोर बन चुका है। दिसंबर में अब तक तीन महिलाओं को अपना शिकार बना चुका यह जानवर लोगों की रातों की नींद और दिनों की चैन छीन रहा है।
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नवंबर से ही वन विभाग के पास गुलदार की लगातार शिकायतें पहुंच रही हैं। बीते 50 दिनों में 90 से ज्यादा दर्ज हुई शिकायतों में से 55 से अधिक सिर्फ इसी एक समस्या को उठाते हैं – आबादी के बीच घूमता गुलदार। घरों के इर्द-गिर्द मंडराना, मवेशियों को दबोचना, यहां तक कि इंसानों पर हमला करना, ये वो शिकायतें हैं जो लोगों को वन्य जीवों के आतंक से सहमे हुए दिखाती हैं। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा भरोसा दे रहे हैं कि हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, पर स्थिति की नज़ाकत किसी से छिपी नहीं है।
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गुलदार के बाद वन्य जीवों में बंदर और सांप भी परेशानी का सबब बन रहे हैं। फसलों को बर्बाद करने वाले बंदरों और घरों में घुसने वाले सांपों से जुड़ी 10-15 शिकायतें भी विभाग के पास आई हैं। हाथी सूअर से जुड़ी कुछ शिकायतें भी इस समस्या को और जटिल बनाती हैं।
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लेकिन सबसे ज्यादा खौफ का सबब बना हुआ है भीमताल का आदमखोर गुलदार। शाम ढलते ही सक्रिय होने वाला ये जानवर दिसंबर में हुई तीनों घटनाओं में हमेशा शाम के ही समय महिलाओं को अपना शिकार बना चुका है। लगातार हो रही घटनाओं ने लोगों में आक्रोश और डर का माहौल बना दिया है।
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मलुवाताल गांव में सात दिसंबर को इंद्रा बेलवाल को शिकार बनाने के बाद ये गुलदार नौ दिसंबर को पिनरो की पुष्पा देवी को खींचकर जंगल की ओर ले गया था। उनका शव कुछ दूर ही खोजा जा सका। लगातार दो घटनाओं के बाद विभाग ने गश्त बढ़ाई, पर मंगलवार को एक और युवती को उसी क्षेत्र में इस आतंक का सामना करना पड़ा।
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उत्तराखंड के पहाड़ों में ठंड बढ़ी है, पर उससे ज्यादा बढ़ी है वहां के लोगों की दहशत। वन विभाग के सामने ये चुनौती अब इंसान-वन्य जीव संघर्ष की सिर्फ घटना नहीं रह गई है, बल्कि लोगों की सुरक्षा की गंभीर जिम्मेदारी बन गई है। हर किसी को उम्मीद है कि जल्द ही इस आतंक से छुटकारा मिल सकेगा, और पहाड़ों में फिर से सुकून की सुबह होगी।