गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड को विभिन्न सरकारी भवनों से बकाया भवन कर प्राप्त नहीं हो रहा है, जिसमें राजभवन से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक के भवन शामिल हैं। बोर्ड ने संबंधित विभागों से कई बार पत्राचार किया है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। इस स्थिति के कारण स्टाफ और पेंशनर्स को वेतन और भत्ते देने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
कैसे हो रहा विकास कार्यों पर प्रभाव?
बजट की कमी के कारण विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। पिछले दो वर्षों से चुनाव नहीं हुए हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। गढ़ी कैंट छावनी क्षेत्र में मुख्यमंत्री आवास, राजभवन, बीजापुर गेस्ट हाउस, एफआरआई, व्हाइट हाउस जैसे कई प्रमुख सरकारी भवन हैं।
इन सभी पर छावनी परिषद का लाखों रुपये सालाना कर बकाया है। इनमें से कुछ भवनों ने हाल ही में अपना कर अदा किया था, लेकिन मुख्यमंत्री आवास का कर 2009 से अदा नहीं हुआ है।
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राजभवन और मुख्यमंत्री आवास पर बकाया है लाखों का कर
मुख्यमंत्री आवास पर 85 लाख रुपये से अधिक का कर बकाया है। वहीं, राजभवन पर करीब 23 लाख रुपये का कर था, जिसमें से 13 लाख रुपये जमा किए जा चुके हैं, लेकिन अभी भी करीब 10 लाख रुपये बकाया हैं।
बीजापुर गेस्ट हाउस पर भी 20 लाख रुपये से अधिक का बकाया है। यह जानकारी मिली है कि बीजापुर गेस्ट हाउस के निर्माण के बाद से केवल एक बार पांच लाख रुपये का भुगतान किया गया था।
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FRI की स्थिति है सबसे खराब
एफआरआई यानि (Forest Research Institute)की स्थिति सबसे खराब है। इस पर कई करोड़ रुपये का बकाया है। जब कैंट बोर्ड ने बार-बार पत्राचार किया, तो बताया गया कि एफआरआई को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है।
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आधा हिस्सा एफआरआई का है, जबकि बाकी आधे में सेंटर एकेडमी स्टेट फॉरेस्ट और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी का क्षेत्र है। इसके बाद 2.63 करोड़ रुपये की वसूली के लिए एफआरआई और दो करोड़ रुपये के लिए बाकी दोनों संस्थानों को बिल भेजा गया है।
संयुक्त अस्पताल और पानी की चक्की पर भी लाखों बकाया
प्रेमनगर में स्थित संयुक्त चिकित्सालय, जो स्वास्थ्य विभाग के अधीन है, पर गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड का करीब 58 लाख रुपये बकाया है। छावनी परिषद की ओर से कई बार सीएमओ देहरादून को इस संबंध में पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक बकाया कर जमा नहीं किया गया है।
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इसके अलावा, गढ़ी कैंट क्षेत्र में सिंचाई विभाग की पानी की चक्की पर भी करीब दो लाख रुपये का कर बकाया है।
गढ़ी कैंट छावनी बोर्ड का करोड़ों रुपये सरकारी कार्यालयों पर बकाया है। समय-समय पर संबंधित विभागों के साथ पत्राचार किया जाता है, लेकिन कई विभागों ने अब तक भुगतान नहीं किया है। --- हरेंद्र सिंह, सीईओ, गढ़ी कैंट बोर्ड