“बाहरी लोगों का आना मना है” रुद्रप्रयाग में लगे बोर्ड ने पकड़ा तूल, पढ़ें पूरी जानकारी

Editorial Staff

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में कई जगह आपत्तिजनक साइन बोर्ड “बाहरी लोगों का आना मना है” लगे हुए थे, जिन्हें अब हटा दिया गया है। इन्हें हटाने का मुख्य कारण कुछ लोगों ने मुसलमानों के प्रति भेदभाव बतलाया, हालांकि स्थानीय लोगों की माने तो उनके अनुसार ये बोर्ड उनकी सुरक्षा और अतिक्रमण को ध्यान में रखते हुए लगाये गए थे। जिनका उद्देश्य समुदाय विशेष के प्रति भेदभाव नहीं थी। आइए जानते क्या है पूरा मामला?


“बाहरी लोगों का आना मना है” रुद्रप्रयाग में लगे बोर्ड ने पकड़ा तूल, पढ़ें पूरी जानकारी



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रुद्रप्रयाग में जगह-जगह लगे बोर्ड “बाहरी लोगों का आना मना है”

रुद्रप्रयाग जिले के कई इलाकों में स्थानीय लोगों ने प्रवेश द्वारों पर बोर्ड लगाए थे जिनपर लिखा था “बाहरी लोगों का आना मना है”। ये साइन बोर्ड इन इलाकों में बढ़ती बाहरी गतिविधि को ध्यान में रखते हुए बनाए गए थे। एक ग्राम प्रधान ने गुप्तता की स्थिति में बताया की आजकल बांग्लादेश और अन्य देशों से भागे हुए रोहिंग्या मुसलमान उत्तराखंड में जगह-जगह अतिक्रमण कर रहे हैं।


इसी के लिए उत्तराखंड सरकार से भू-कानून की मांग की जा रही थी। तथा कुछ समय से उत्तराखंड की शांतिप्रिय घाटियों में चोरी और हिंसा का माहौल बन गया है। कुछ कुछ इलाकों में बाहरी लोगों द्वारा स्थानीय युवतियों को बहला-फुसलाकर भगाने के आरोप भी लगे हैं। जिस कारण ये बोर्ड लगाना अहम हो गया था।





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देव भूमि उत्तराखंड में बढ़ता अतिक्रमण

UHN के सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार इन पोस्टरों का उद्देश्य स्थानीय व्यापारियों को बढ़ावा देना और भूमि को अतिक्रमण से बचाना था। जिस पर किसी अन्य धर्म या संप्रदाय का कोई प्रतिबंध नहीं। बीते कुछ वर्षों से बाहरी लोग पहले गाँव में रेहड़ी लगाते हैं और फिर उसपर सामान रखकर कब्जा कर लेते हैं। हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी के निर्देशानुसार राज्य भर में अतिक्रमण के खिलाफ सशक्त कार्यवाही की गई थी।


इस मुद्दे ने पकड़ राजनीतिक तूल

ग्राम प्रधानों और स्थानीय लोगों द्वारा लिए गए इस फैसले ने सियासी मोड़ ले लिया है, मुस्लिमों द्वारा आक्षेप लगाए जा रहें हैं की यह उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। जबकि स्थानीय लोगों ने इस बात से साफ इनकार किया है। उनके मुताबिक अपनी मातृभूमि की सुरक्षा और हम सदियों से करते आए हैं और हमारे पूर्वजों की यही विरासत रही है। इन पोस्टरों का उद्देश्य किसी के साथ भेदभाव नहीं।



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अभी क्या है स्थिति ?

रुद्रप्रयाग जिले की पुलिस द्वारा मिली जानकारी के अनुसार सबसे पहले पोस्टर “गैर-हिंदुओं के प्रवेश निषेध” पर थे, जिसे पुलिस ने उचित कार्यवाही द्वारा हटा दिया। उसके बाद बाहरी लोगों का आना मना है के पोस्टरों को लगाया गया। इन्हें भी फिलहाल हटा दिया गया है। ndtv द्वारा प्रकाशित खबर के अनुसार रुद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद द्वारा यह माना गया है की सबसे पहले लगाए गए पोस्टरों पर किसी संप्रदाय विशेष के लिए संदेश था। जिसमें बाहर से आने वाले सामान बेचने और कबाड़ियों के प्रवेश को निषेध करार दिया गया था।


मुख्यमंत्री धामी को Citizens for Fraternity ने लिखा पत्र

हिंदुस्तान अखबार की रिपोर्ट के अनुसार “सिटीजेन्स फॉर फ्रेटरनिटी” द्वारा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को पत्र लिखकर अपनी निराशा जाहिर की है, उन्होंने लिखा है की मुस्लिम सालों से इन क्षेत्रों में व्यापार करते आए हैं, और ऐसी भेदभाव की घटनाओं से उन्हें काफी निराशा हुई है। इसमें लिखा गया है की संविधान धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं करता और ऐसी गतिविधियों द्वारा देश भर में वातावरण खराब होता है।


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बीते कुछ वर्षों में देवभूमि उत्तराखंड में ऐसी घटनाएं निरंतर बढ़ती नजर आयी हैं, लोगों के अनुसार इसका कारण क्षेत्र में बढ़ती बाहरी लोगों संख्या है। उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश में भी ऐसी घटनाएं सामने या चुकी हैं, जहां पर ग्राम सभा द्वारा बाहरी प्रवेश को वर्जित किया गया था।

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