Uttarakhand Election 2022 : फ्री बिजली मुद्दे पर आप (AAP) ने भाजपा और कांग्रेस को घेरा

Editorial Staff

Uttarakhand Election 2022 : फ्री बिजली मुद्दे पर आप (AAP) ने भाजपा और कांग्रेस को घेरा
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल 


Uttarakhand Election 2022 : आम आदमी पार्टी (AAP) ने भाजपा और कांग्रेस को एक सार्वजनिक मंच पर मुफ्त बिजली के मुद्दे पर चर्चा करने की खुली चुनौती दी। आप (AAP) के वरिष्ठ नेता कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल जी ने कहा कि दोनों पक्ष जनता को मुफ्त बिजली देने के बारे में धोखा दे रहे हैं। 


आप (AAP) दोनों पक्षों को बताएंगे कि राज्य के हर घर में 300 यूनिट फ्री बिजली कैसे पहुंचाई जाएगी। दोनों पक्ष राज्य की जनता का जो हक है उसे देने के पक्ष में नहीं हैं। मुफ्त बिजली पर दोनों पक्षों की स्थिति स्पष्ट नहीं है, उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस को मुफ्त बिजली के मुद्दे पर खुली बहस के लिए चुनौती है । 


भाजपा और कांग्रेस सार्वजनिक मंच पर कदम रखें और जनता के सामने मुफ्त बिजली आपूर्ति योजना पेश करें। जबकि आम आदमी पार्टी (AAP ) यह बताएगा कि बिजली पहुंचने पर 300 यूनिट बिजली कैसे मुफ्त में पहुंचाई जाएगी। 

"टेक होम राशन योजना" के निजीकरण खिलाफ बहनो के रोजगार रक्षा करेंगे कर्नल कोठियाल 

आम आदमी पार्टी ने टेक-होम राशन योजना के निजीकरण(Privatisation) पर भी सवाल उठाए। कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि उत्तराखंड सरकार मेरी बहनों से नौकरी छीन रही है. इससे बड़ा दुख और क्या हो सकता है? 


गढ़वाल और कुमाऊं में हमारी बहनों को जिस टेक-होम राशन कार्यक्रम से रोजगार मिल रहा था, उसे अब भाजपा सरकार निजी हाथों में बेच रही है।


 क्या हमारे शहीदों ने इस दिन के लिए कुर्बानी दी है? कर्नल कोठियाल ने कहा कि जिस तरह रक्षा बंधन में हर भाई अपनी बहन की रक्षा करने का प्रयास करता है, उसी तरह आपका भाई कोठियाल टेक-होम राशन कार्यक्रम से जुड़ी बहनों के रोजगार रक्षण के लिए संघर्ष करेगा। 


टेक होम राशन एक केंद्र पोषित योजना है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा गरीब बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं को पोषक कच्चा अनाज दिया जाता है। इससे प्रदेश में अभी नौ लाख बच्चे व महिलाएं लाभान्वित हो रहे हैं। अनाज के वितरण का कार्य प्रदेश में महिला स्वयं सहायता समूहों के जरिये कराया जाता है। प्रदेश में यूं तो तकरीबन 33 हजार महिला स्वयं सहायता समूह हैं, लेकिन कच्चे राशन के वितरण का काम अभी 80 से 100 महिला स्वयं सहायता समूह कर रहे हैं। इसके एवज में उन्हें एक निश्चित धनराशि दी जाती है।


इस योजना का निजीकरण से सभी कार्यकारी महिलाओं का रोजगार संकट में  है। इसके खिलाफ राज्य भर में 40 हजार महिलाएं आंदोलन कर रही हैं।


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