जिम कॉर्बेट पार्क में पहली बार सफेद हिमालयन बुलबुल नजर आई है। ढेला जोन में पर्यटकों को सफारी करवा रहे नेचर गाइड ने पार्क प्रशासन को इसकी जानकारी तस्वीर समेत उपलब्ध कराई है। कॉर्बेट के अधिकारी सफेद हिमालयन बुलबुल देखकर हैरान हैं। उनका मानना है कि सफेद बुलबुल की प्रजाति मिलने का इससे पहले कोई सुबूत नहीं मिला है। पार्क निदेशक राहुल के मुताबिक सफेद हिमालयन बुलबुल पर जल्द शोध कराया जाएगा। पार्क निदेशक राहुल ने सोमवार को ढेला जोन में सफेद हिमालयन बुलबुल दिखने की पुष्टि करते हुए बताया कि 2013 बैच के गाइड सचिन चौहान ने फोटो उपलब्ध कराई है।
आमतौर पर बुलबुल का रंग पीला और काला होता है। शोध के बाद पता चल पाएगा कि सफेद बुलबुल कहां से आई है या इसका रंग सफेद कैसे हुआ। कॉर्बेट पार्क में करीब छह सौ से अधिक प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं। सर्दी और गर्मी के दिन आने वाले मेहमान परिंदों को भी कॉर्बेट का जंगल भाता है। ये परिंदे कई माह तक कॉर्बेट के जंगल में प्रवास करते हैं। हिमालयन बुलबुल बेहद सुंदर होती हैं। दुनिया में बुलबुल की 16 सौ प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें से कॉर्बेट में छह प्रजातियां हैं।
कॉर्बेट में सफेद सांभर-मोर भी दिखे
रामनगर। विशेषज्ञ संजय छिम्वाल ने बताया कि कॉर्बेट पार्क में इससे पहले सफेद रंग के सांभर और मोर भी दिखे हैं। अब सफेद बुलबुल दिखने से विशेषज्ञ भी हैरान हैं। हालांकि पक्षियों में शारीरिक रंग बदलना बीमारी का संकेत भी है। यह शोध से ही पता चलेगा कि बुलबुल का सफेद रंग प्राकृतिक है या कोई बीमारी।
कैसी होती है बुलबुल
हिमालयन बुलबुल की लंबाई करीब 18 सेमी, पंखों का फैलाव 25 सेमी, वजन 30 ग्राम है। यह कीड़े, जामुन, फल, बीज आदि खाती है। इनके घोंसले आमतौर पर कप के आकार के होते हैं। यह सामान्यत: तीन अंडे देती हैं, जो 12 दिनों के लिए हैचेज करती हैं। चूजे 9-11 दिन के होने पर घोसला छोड़ देते हैं। विशेषज्ञों की माने तो बुलबुल पहाड़ों और तराई के जंगलों में पाई जाती है। इसका व्यवहार दूसरे पक्षियों से मिलनसार होता है। यह जोड़े में रहता है।