"चारधाम तीर्थपुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत ने देवस्थानम बोर्ड को तत्काल भंग कर पूर्ववत स्थिति बहाल करने को लेकर पीएम, गृह मंत्री, संघ प्रमुख मोहन भागवत और विहिप कार्यकारी अध्यक्ष को पत्र भेजे। पत्र में उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के चारों धामों से तीर्थ पुरोहितों व हक हकूकधारियों का गहरा संबंध है, इनसे उन्हें किसी भी तरह अलग नहीं किया जा सकता।
महापंचायत अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल, सचिव हरीश डिमरी व अन्य पदाधिकारियों की ओर से प्रेषित पत्र में कहा गया है, कि प्रदेश सरकार चारधाम देवस्थानम प्रबन्धकीय विधेयक 2019 को लागू करने से भ्रम की स्थिति बन गयी है। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम तीर्थपुरोहित समाज एवम हक-हकूकधारी विधेयक को लेकर संशय गहरा गया है। देवस्थानम बोर्ड के जरिये सरकार धामों की संपूर्ण व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारियों के हाथों में रखना चाहती है। देवस्थानम अधिनियम व बोर्ड को लेकर चल रहे विवाद के लिए प्रदेश सरकार जिम्मेदार है। अधिनियम लाने से पहले सरकार द्वारा धामों से जुड़े तीर्थपुरोहित व हक-हकुकधारी समाज से संवाद नहीं किया गया। इन धामों के रावल, पुजारियों व अन्य लोगों की भी उपेक्षा की गई। महापंचायत के अनुसार चारों धामों व अन्य मंदिरों के सूचीबद्ध अभिलेख स्थानीय समितियों व पंचायतों के पास सुरक्षित हैं। देवस्थानम बोर्ड को किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता। करोड़ो हिंदुओ की आस्था पर आघात करने वाला देव स्थानम विधेयक तीर्थयात्रियों के धार्मिक अधिकारों का भी हनन करने वाला है। उन्होंने ने पीएम और गृहमंत्री से देवस्थानम अधिनियम को तत्काल समाप्त करने की मांग की है।"