उत्तराखंड |
पर्यावरण के क्षेत्र में हिमालयी राज्य उत्तराखंड का अनूठा योगदान है। राज्य के कुल क्षेत्रफल का 71 प्रतिशत यानी 38,000 वर्ग किमी तक वन क्षेत्र फैला है। इसमें नदियों को सदानीरा बनाने वाले ग्लेशियर, कार्बन को सोखकर ऑक्सीजन देने वाले वन, देश के मैदानी हिस्सों की भूमि और लोगों दोनों की प्यास बुझाने वाली नदियां और इस पूरी पारिस्थितिकी को संभालने वाले तंत्र का यहां बहुमूल्य खजाना है।
कोविड-19 महामारी में हमने पर्यावरण के इस अनूठे खजाने की अहमियत को शायद समझ लिया होगा। अभी तक पर्यावरणीय सेवाओं का बाजार मूल्य आंकने का कोई फार्मूला नहीं था। कुल सकल घरेलू उत्पाद में राज्य की वन संपदा का योगदान महज 1.3 प्रतिशत ही दर्शाया गया। लेकिन राज्य के अर्थ एवं संख्या विभाग ने एक अध्ययन कराकर ग्रीन एकाउंटिंग के जरिये यह बताया कि उत्तराखंड 95,112.60 करोड़ की प्रवाहित पर्यावरणीय सेवा दे रहा है। राज्य की वन संपदा का कुल स्टॉक बेनिफिट 14 लाख 13 हजार 676 करोड़ रुपये का है।
इसलिए उठी ग्रीन बोनस की मांग
पर्यावरणीय सेवाओं के बदले में उत्तराखंड पिछले एक दशक से ग्रीन बोनस की मांग कर रहा है। पर्यावरणीय सेवाओं का एक वैज्ञानिक आधार तैयार होने के बाद उत्तराखंड की इस मांग को मजबूती मिली है। लेकिन नीति नियंताओं का इस बारे में अभी उदार रुख नहीं है।
अनूठी व मूल्यवान पर्यावरणीय सेवाओं के आंकड़े
- 95,112 करोड़ है पर्यावरणीय सेवाओं का प्रवाह मूल्य।
- 1413,676 करोड़ रुपये कुल वन एवं पर्यावरणीय संपदा का भंडार जमा है।
- 7,211,01 करोड़ रुपये की तो इसमें टिंबर का स्टॉक है।
- 255,725 करोड़ मूल्य का कार्बन हर साल सोख लेते हैं राज्य के वन।
- 4,36,849 करोड़ है राज्य की वन भूमि की कीमत।
स्रोत: (उत्तराखंड अर्थ एवं संख्या विभाग की ग्रीन एकाउंटिंग अध्ययन रिपोर्ट से)
प्रदेश में वनों से मिल रही सेवाएं
लाभ मूल्य (करोड़)
रोजगार 300
ईंधन 3395.2
चारा 7,76.1
टिंबर 1243.2
जीन पूल 73,386.5
बाढ़ रोकने में 1306.5 करोड़
नोट: इकोलॉजी में जीन पूल बहुत अहम है। किसी भी जनसंख्या या प्रजाति सभी जीनों के समुच्च या जीनों से संबंधित रचना को जीन पूल कहते हैं।
आंकड़े बोलते हैं
- 38 हजार वर्ग किमी है वन क्षेत्र ।
- कुल क्षेत्रफल में 71 प्रतिशत वन है ।
- जीडीपी में 1.39 प्रतिशत का योगदान है।
- 90 प्रतिशत से ज्यादा वन क्षेत्र है रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी में है।
- 30.69 प्रतिशत यानी सबसे कम क्षेत्र में जंगल हरिद्वार में है।
पर्यावरणीय सेवाओं के मामले में उत्तराखंड बहुत समृद्ध राज्य है। हवा,पानी, वन, पहाड़, नदियां, बुग्याल, झरने, झीले, वैटलैंड सभी कुछ यहां है। सतत विकास लक्ष्यों को केंद्र में रखकर प्रकृति के ये संसाधन अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दे सकते हैं। इको टूरिज्म, होम स्टे, साहसिक पर्यटन व अन्य कई ऐसे क्षेत्र हैं जो संतुलित विकास को केंद्र में रखते हुए स्थानीय लोगों की आजीविका का आधार बन सकते हैं।
- डॉ. मनोज कुमार पंत, संयुक्त निदेशक, अर्थ एवं संख्या विभाग