मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत गंगोत्री विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के मुताबिक, जिन सीटों पर मुख्यमंत्री के चुनाव लड़ने की संभावना है, उनमें एक विकल्प गंगोत्री भी है।
बहरहाल, संगठन के स्तर पर उपचुनाव की तैयारी को लेकर मंथन शुरू हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की अध्यक्षता में प्रदेश महामंत्रियों की बैठक हुई। कौशिक के यमुना कॉलोनी स्थित सरकारी आवास पर हुई बैठक में मुख्यमंत्री के उपचुनाव को लेकर मंथन हुआ। बकौल कौशिक, शुक्रवार को एक बैठक फिर होगी, जिसमें मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, संगठन स्तर पर रखी गई दोनों बैठकों में कोरोना संक्रमण के कम होने के बाद सांगठनिक गतिविधियां और चुनावी तैयारियों में तेजी पर जोर दिया जाएगा। इसमें मुख्यमंत्री का उपचुनाव भी एक प्रमुख मुद्दा है। कौशिक का कहना है कि अब अनलॉक शुरू हो गया है, लिहाजा पार्टी ने भी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
गंगोत्री से मुख्यमंत्री के चुनाव लड़ने की संभावना पर उनका कहना है कि गंगोत्री विधानसभा से पार्टी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं। जिलाध्यक्ष व अन्य वरिष्ठ नेताओं की भी इच्छा है कि मुख्यमंत्री गंगोत्री से चुनाव लड़ें।
अगर बीजेपी में आत्मविश्वास होता तो किसी को भी सीट छोड़ने की आवश्यकता नहीं होती। मुख्यमंत्री पर दांव खेलने में हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। 2022 में क्या स्थिति होगी।
- प्रीतम सिंह,प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस
तीन माह कोरोना में...अब तीन माह चुनावी तैयारी में
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को अपने कार्यकाल के तीन महीने पूरे कर लिए हैं। अब उन्हें तीन महीने बाद उपचुनाव में जाना है। उनके कार्यकाल के तीन महीने कोरोना महामारी और कुंभ मेले की चुनौती से पार पाने में निपट गए। कोरोना की चुनौती अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई कि अब उनके सामने उपचुनाव की चुनौती है।
उनके नई दिल्ली से लौटने के साथ ही भाजपा में उपचुनाव को लेकर कवायद शुरू हो गई। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उपचुनाव की तैयारी के लिए संगठन को हरी झंडी दिखा दी है। सत्ता पर काबिज होने के बाद से राज्य में जितने भी उपचुनाव हुए, उसमें भाजपा ने बाजी मारी है। लेकिन मुख्यमंत्री के उपचुनाव को लेकर वह फूंक-फूंक कदम रख रही है।
इस उपचुनाव के खास सियासी मायने हैं। यह उपचुनाव 2022 के विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीनों पहले होगा, इसलिए इसे सेमीफाइनल की मिसाल दी जा रही है। सियासी जानकारों का मानना है कि इस उपचुनाव में होने वाली जीत विधानसभा चुनाव के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी।
यही वजह है कि गंगोत्री सीट खाली हो जाने के बाद भी सत्तारुढ़ पार्टी को अभी तक यह सोच-विचार करना पड़ा रहा है कि वह मुख्यमंत्री को किस सीट से उतारें। कौशिक कहते हैं, गंगोत्री सीट के अलावा हमारे पास कई विकल्प हैं। धर्मपुर, कोटद्वार, यमकेश्वर, लैंसडौन, बदरीनाथ और भीमताल के विधायक मुख्यमंत्री के लिए सीट खाली करने को तैयार हैं।
उपचुनाव लड़ने के लिए कई विकल्प हैं : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गंगोत्री विधानसभा से उपचुनाव लड़ने की संभावना पर कहा कि उनके पास उपचुनाव लड़ने के लिए कई विकल्प हैं। तीन विकल्पों पर विचार चल रहा है। गंगोत्री विधानसभा के कार्यकर्ता मेरे पास आ रहे हैं कि मैं वहां से चुनाव लड़ूं। आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा कि मैं कहां से चुनाव लडूंगा।