कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अब राज्य में किसी भी सीट पर उपचुनाव की संभावना नहीं है। सीएम तीरथ सिंह रावत छह माह के भीतर विधानसभा के सदस्य बनने का अपना अवसर गवां चुके हैं। अब संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार तीन ही विकल्प बचते हैं। या तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए, विधानसभा को भंग कर विधानसभा चुनाव कराएं जाए या फिर विधायकों के बीच से नया सीएम चुना जाए। चुनाव आयोग को चाहिए कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार ही उप चुनाव पर निर्णय ले। सोमवार को अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में प्रीतम ने इस पहलू की ओर ध्यान खींचा।
कहा कि लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम में स्पष्ट प्रापधान है कि यदि विधानसभा की अवधि एक साल से कम रह जाती है तो उपचुनाव नहीं कराया जा सकता। वर्तमान में गंगोत्री और अब हल्द्वानी सीट रिक्त तो हैं लेकिन उनका कार्यकाल अब एक साल नहीं रहा। नियमानुसार ऐसे में केवल तीन ही विकल्प है। प्रीतम ने आगे जोड़ा कि अब पूरा दारोमदार चुनाव आयेाग पर है। यदि वो केंद्र सरकार के दबाव में आकर चुनाव कराता है तो कांग्रेस राजनीतिक दल होने के नाते चुनाव में भाग लेकर अपने धर्म का पालन करेगा।
नियम तो यही कहता है कि अब प्रदेश में राष्ट्रपति शासन, विस भंग कर नया चुनाव या नए सीएम का चयन किया जाए। अब यह चुनाव आयोग पर निर्भर है कि वो संवैधानिक प्रावधान का पालन करता है या केंद्र सरकार के दबाव में आकर उपचुनाव कराता है।
प्रीतम सिंह, प्रदेश अध्यक्ष-कांग्रेस