दुर्लभ जंगली छिपकली |
दून में हरिद्वार बाईपास स्थित रिस्पना के करीब पहली बार दुर्लभ जंगली छिपकली मिली है। यह छिपकली गंगा के किनारे घने जंगलों में रहती है। ये यहां आबादी में कैसे पहुंची, इस पर विभाग ने गोपनीय टीम लगाई है। छिपकली के तस्करी कर यहां लाए जाने की भी आशंका जताई गई है। क्योंकि छिपकली के एक अंग को कुछ अंधविश्वासी धार्मिक कर्मकांडों में प्रयोग में लाते हैं।
रविवार को हरिद्वार बाईपास पर विधायक उमेश शर्मा काऊ के आवास के पास रिस्पना के करीब एक सफाई कर्मचारी सफाई कर रहा था। जिसे कुछ जंतु दिखाई दिया तो उसने पार्षद मनमोहन सिंह को सूचना दी। पार्षद ने इसकी जानकारी डीएफओ राजीव धीमान को दी। डीएफओ के निर्देश पर रेस्क्यू टीम के हेड रवि जोशी एवं जितेंद्र बिष्ट मौके पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि ये तो दुर्लभ प्राणि येल्लो मॉनीटर लिजार्ड यानि जंगली छिपकली है। रवि जोशी ने बताया कि ये गंगा के किनारे घने जंगलों में तराई इलाकों में पाई जाती है। अफसरों को सूचना दी गई। जिसे रिजर्व फॉरेस्ट में छोड़ा गया।
तांत्रिक तो नहीं लेकर आए!
विभागीय सूत्रों ने बताया कि जंगली छिपकली के पेनिस हत्ताघडी को अंधविश्वासी एवं तांत्रिक धार्मिक कर्मकांड में प्रयोग करते हैं। आशंका जताई जा रही है कि यहां पर कुछ लोग इसे लेकर आए होंगे और उनसे छूटकर यह यहां आ गई होगी।
आठ माह पहले पकड़ा था साधु
वन विभाग की टीम ने छह माह पहले विकासनगर से एक साधु को छह हत्तागडी के साथ पकड़ा था। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि कही इस छिपकली को कुछ ऐसे लोग ही तो यहां नहीं लेकर आए।
डीएफओ राजीव धीमान का कहना है कि जंगली छिपकली यहां कैसे पहुंची। इसका पता लगाने के लिए एक टीम लगाई गई है। छिपकली को घने जंगलों में छुडवा दिया गया है।