चमोली जिले में भारी बारिश के कारण ऋषि गंगा एवं धौली नदी में आये उफान के चलते एक बार फिर से रैंणी घाटी में कहर बरपा है। रैंणी वल्ली में स्थित गौरा देवी स्मारक के नीचे की ओर स्थित नीति बार्डर हाईवे लगभग 50 मीटर बारिश के बाद बह गया। वहीं, सात फरवरी को आई जल प्रलय के बाद रैंणी वल्ली एवं पल्ली के मध्य ऋषि गंगा के ऊपर बनाया गया वेली ब्रिज के एक बेसमैंट को भी ढहने का खतरा बढ़ गया है। सडक के बह जाने के बाद घाटी के दर्जनों गांव मुख्य संपर्क से कट गए हैं । मलारी, गमशाली आदि अग्रिम चैकियों में रसद सामाग्रियाें की आपूर्ती भी ठप हो गई है।
बता दें कि जोशीमठ विकासखंड में पिछले एक सप्ताह से रूक- रूक कर भारी बरसात हो रही है जिस कारण से यहां के नदी नाले उफान पर हैं। शनिवार एवं रविवार की रात्री लगातार हुई मूसलाधार बारिश से इन दोनो नदियों में आए उफान के धौली नदी ने रैंणी में बार्डर हाईवे को 50 मीटर तक बह गया। जहां पर सडक बही है वहां पर पर नीचे की ओर से अब सडक को ठीक कर पाना काफी मुश्किल है जिस कारण से बीआरओ एवं प्रशासन उपर की ओर से फिलहाल कटिंग कर के वैकल्पिक सड़क बनाने की सोच रही है। कटाव की तीव्रता के कारण रैंणी वल्ली गांव के काफी भवनों में दरार आने की भी सूचना है।
तहसीलदार सीएस बशिष्ठ ने बताया कि रैंणी में जहां पर बार्डर हाईवे बहा है वहां पर उपर की ओर से सडक कटिंग की योजना बीआरओ ने बनाई है, लेकिन जिस भूमि में कटिंग की जानी है व लोगों की नाप भूमि है इस लिए बिना लोगों को मुआवजा दिए कटिंग संभव नही है। कहा कि प्रशासन लोगों से इस दिशा में बातचीत कर रही है। बताया कि यदि ऊपरी छोर से सडक कटिंग की जाती है तो तीन भवनों को जिनमें दरारें भी आयी है को ढहाया जाना भी आवश्यक । इसकेअतिरिक्त यहां पर कुछ पोल एवं बिजली की लाईन को भी शिफ्ट करना पडे़गा।
वैली ब्रिज को नहीं खतरा: तहसीलदार बशिष्ठ ने बताया कि बीआरओ ने अपने नये बनाये गए 200 फीट लंबे एवं 30 टन क्षमता वाले वैली ब्रिज का निरीक्षण किया है। बताया कि फिलहाल ब्रिज को कोई खतरा नही है।
लोगों में दहशत: जिले में सात फरवरी के बाद एक बार फिर नदियों के उफान से स्थानीय लोगों में खासी दहशत है। प्रधान भवान सिंह, क्षेपंस संग्राम सिंह एवं शंकर सिंह कहते हैं कि पूरी रैंणी घाटी दहशत में जी रही है। कहते हैं कि गांव के दर्जनों मकानों एवं खेतों में दरारें बढ़ रही हैं और पूरा गांव कटाव की चपेट में आ गया है। कहते हैं कि सरकार को जल्द से जल्द सभी प्रभावित गांवों का विस्थापन करना चाहिए। कहते हैं कि गांव में कटाव बढ़ रहा है व नीचे से नदियां भी कटाव कर रही हैं।