बाबा रामदेव |
उत्तराखंड में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उत्तराखंड (आईएमए) की ओर से कोरोना इलाज में ऐलोपैथिक दवाइयों को लेकर किए जा रहे गलत प्रचार पर योग गुरु बाबा रामदेव को मानहानि का नोटिस दिया जाएगा। आईएमए का कहना है कि बाबा रामदेव 14 दिन के भीतर सार्वजनिक माफी नहीं मांगते हैं तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। सोमवार को आईएमए की ओर से नोटिस भेजा जाएगा। वहीं, सरकार से भी कोविड महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज करने की मांग की जाएगी।
कोविड संक्रमण : कोरोना ने हरिद्वार में तोड़ा रिकॉर्ड, बाबा रामदेव ने पतंजलि के खिलाफ षड्यंत्र रचने का लगाया आरोप
आईएमए के प्रदेश सचिव डॉ. अजय खन्ना ने कहा कि बाबा रामदेव की ओर से विज्ञापनों के माध्यम से प्रचार किया जा रहा है कि कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट होने पर कोरोनिल दवा का इस्तेमाल करें। ऐलोपैथिक दवाइयों को लेकर गलत प्रचार करने पर आईएमए की ओर से बाबा रामदेव के खिलाफ सोमवार को मानहानि का नोटिस जारी किया जाएगा।
बाबा रामदेव का ऐलापैथी इलाज पर दिया गया बयान निंदनीय है। कोरोना काल में जब देश के सभी डॉक्टर बहुत मुश्किल हालात का सामना करते हुए संक्रमित मरीजों की जान बचाने में जुटे हैं। ऐसे समय में इस तरह का बयान देने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से भी तत्काल इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है। खन्ना ने कहा कि रामदेव के लिए कोविड महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज करने के लिए सोमवार को सरकार व सचिव स्वास्थ्य पत्र भेजा जाएगा।
रामदेव ने खेद जताया, बयान वापस लिया
ऐलोपैथी पर अपने बयान से विवादों में आए बाबा रामदेव ने देर शाम खेद जताते हुए अपना बयान वापस ले लिया। रामदेव ने कहा कि अगर उनके बयान से किसी को ठेस पहुंची है तो वह खेद जताते हैं। हालांकि रामदेव ने यह भी कहा है कि एलोपैथी भी आयुर्वेदिक चिकित्सकों के बारे में कई बार आपत्तिजनक बातें करते हैं।
बाबा रामदेव के विवादित बयान पर बोले हरिद्वार के चिकित्सक
कोविड के इलाज में एलोपैथिक दवाओं पर विवादित बयान के बाद योग गुरु बाबा रामदेव चौतरफा घिर गए हैं। आईएमए के बाद रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी बाबा रामदेव के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। हरिद्वार के एलोपैथिक चिकित्सकों ने भी बाबा रामदेव के बयान की कड़ी निंदा करते हुए कोविड महामारी की रोकथाम में लगे स्वास्थ्य कर्मियों का अपमान बताया है। वहीं, आयुर्वेद से जुड़े जानकारों का कहना है कि यह वक्त किसी पद्धति को कोसने का नहीं बल्कि महामारी से निपटने का है।
आईएमए ने कड़ी निंदा करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की थी। इसके बाद ही आचार्य बालकृष्ण ने बाबा रामदेव का बचाव करते हुए कहा कि उनकी मंशा किसी को आहत करने की नहीं थी। रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की ओर से रामदेव के बयान पर नाराजगी जताई गई है। इसके बाद भी बाबा रामदेव चौतरफा घिरते नजर आ रहे हैं।
वर्तमान समय में ऐसी सभी पद्धतियां अच्छी हैं, जिनसे कोविड मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। चाहे वह एलोपैथी हो या फिर आयुर्वेद। फिलहाल कोरोनाकाल में समाज स्वस्थ रखना जरूरी है। बाबा रामदेव ने किस दृष्टिकोण के आधार पर यह बात कही है, उसका मतलब तो वही बता सकते हैं।
- रूप किशोर शास्त्री, कुलपति, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय
संकट की घड़ी में आरोप-प्रत्योराप लगाना किसी को भी शोभा नहीं देता है। बाबा रामदेव का बयान निंदनीय है। एलोपैथिक दवाएं प्रमाणित होती हैं। दवाओं का क्या फायदा और नुकसान होता है सब स्पष्ट होता है। संकट के घड़ी में सभी चिकित्सा पद्धतियों से इलाज हो रहा है। बाबा रामदेव ने विवादित बयान देकर एलोपैथिक डाक्टरों का मनोबल गिराया है।
- डॉ. एचडी शाक्या, एसीएमओ
कोरोनाकाल के संकट में सभी को मिलकर कार्य करना है। हमें सभी पद्धतियों में समन्वय स्थापित करनी की बात करनी है। कोई भी विवाद पैदा नहीं करना है। आयुर्वेद के हित में बहुत सारे कार्य पतंजलि योगपीठ ने किए हैं। वो बयान किस परिप्रेक्ष्य में कहा गया है। उसके विषय में स्पष्ट नहीं है।
- सुनील कुमार जोशी, कुलपति, उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय
बाबा रामदेव माडर्न मेडिसिन को गाली देकर आयुर्वेद को बेहतर साबित करना चाहते हैं, जो बेहद गलत तरीका है। बाबा रामदेव की कोरोनिल जनता ने खूब खाई, कितने मरीजों को बचाई, रामदेव को इसका भी जवाब देना चाहिए। आयुर्वेद तभी स्थापित होगा जब बिना ऑक्सीजन, बिना वेंटिलेटर, बिना पैरासिटामोल और बिना स्टरॉयड के मरीजों का इलाज होगा और मरीज स्वस्थ होकर घर जाएंगे।
- डा. दिनेश सिंह, चेयरमैन आईएमए, हरिद्वार शाखा