सीएम तीरथ सिंह रावत |
उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के उपचुनाव के लिए पांच विधायक सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं। उपचुनाव की सीट को लेकर जल्द निर्णय हो जाएगा।
मीडियाकर्मियों से बातचीत में कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री के चुनाव पर जल्द निर्णय लेंगे। मुख्यमंत्री से उनकी दो दौर की बातचीत हो चुकी है। मुख्यमंत्री किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, इस प्रश्न के जवाब में कौशिक ने कहा कि पार्टी के पांच विधायक मुख्यमंत्री के लिए सीट छोड़ने को तैयार हैं। कोटद्वार के विधायक कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत, बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट, भीमताल के विधायक रामसिंह कैड़ा के अलावा दो और विधायकों ने मुख्यमंत्री को उनकी सीट से चुनाव लड़ने की पेशकश की है।
पूरी क्षमता से जुटे हैं विधायक
कौशिक ने कहा कि कोविड महामारी में पार्टी विधायक पूरी क्षमता से जुटे हैं। विधायकों को तीन मुद्दों पर जुटने को कहा गया है। वे सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाएंगे। विधायक निधि से कोविड रोकथाम का काम करेंगे।
कोरोना थमने के बाद होगा सर्वे
कौशिक ने कहा कि अभी हमारा फोकस कोरोना महामारी की रोकथाम पर है। इसलिए अभी विधायकों के रिपोर्ट कार्ड जैसी कोई बात नहीं है। कोरोना थमने के बाद पार्टी सर्वे कराएगी। कोरोनाकाल में विधायकों की सक्रियता टिकट का आधार बनेगी, इस प्रश्न को कौशिक टाल गए।
सीएम बनने वाले पांचवें सांसद
आपको बता दें कि तीरथ रावत से पहले चार सांसद उत्तराखंड के सीएम बन चुके हैं। इनको विधानसभा सदस्य बनने के लिए बाद में उपचुनाव लड़ना पड़ा था। इस परंपरा की शुरुआत 2002 में तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने की थी। वह नैनीताल से लोकसभा के सांसद थे। सीएम बनने के बाद उन्होंने रामनगर विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता था। इसी तरह पौड़ी गढ़वाल से ही सांसद रह चुके भुवन चंद्र खंडूड़ी राज्य का सीएम बनने के बाद धूमाकोट से विधायक बने।
इसके बाद टिहरी से सांसद विजय बहुगुणा जब कांग्रेस की ओर से सीएम बने तो उन्होंने सितारगंज से विधानसभा का चुनाव जीता था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत जब सीएम बने तब उन्होंने धारचूला से विधानसभा का चुनाव जीता था। उनके लिए पार्टी के ही विधायक हरीश धामी ने सीट छोड़ी थी।