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कोरोना महामारी के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विद्यार्थियों के अगली कक्षा में प्रमोशन की नई गाइड लाइन जारी कर दी है। इसके अनुसार अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को छोड़कर अन्य कक्षाओं के स्टूडेंट्स के प्रमोशन का निर्णय विश्वविद्यालय ही कर सकेंगे।
यूजीसी ने कहा है कि विश्वविद्यालय अपने यहां की स्थानीय परिस्थितियों को देखकर परीक्षाएं कराने या विद्यार्थियों को सीधे प्रमोट करने का फैसला ले सकेंगे। अब तक जो स्थिति है, उसमें ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष को छोड़कर बाकी सभी को बगैर परीक्षा के ही अगली कक्षाओं में प्रमोट करने की तैयारी शुरू कर दी है। विश्वविद्यालयों ने यूजीसी की ओर से पिछले साल परीक्षाओं को लेकर तय की गई गाइडलाइन को इसका आधार बनाया है ।
यूजीसी का कहना है कि विश्वविद्यालय स्वायत्त शासी होते हैं, उन्हें परीक्षाओं और शैक्षणिक सत्र आदि को लेकर अपने स्तर पर कोई भी फैसला लेने का अधिकार है। संक्रमण का प्रभाव देश के अलग-अलग हिस्सों में कम और ज्यादा है।
ऐसे में परीक्षाओं को लेकर इस साल कोई मानक गाइडलाइन नहीं बनाई गई है। देश के विश्वविद्यालयों ने स्नातक के पहले और दूसरे वर्ष के छात्रों को आंतरिक आकलन या फिर पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर अंक प्रदान करके प्रमोट करने की तैयारी शुरू कर दी है।
अंतिम वर्ष की परीक्षाएं जुलाई-अगस्त में कराने पर भी काम किया जा रहा है। हालांकि अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर कोई भी फैसला जून के पहले हफ्ते में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा के बाद लिया जाएगा।