परशुराम मंदिर, उत्तरकाशी |
अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर उत्तरकाशी स्थित प्राचीन मंदिर में भगवान परशुराम की जयंती सादगीपूर्ण तरीके से मनाई गई। मंदिर पर लगे पुराने ध्वज को बदलने के साथ ही विशेष पूजा-अर्चना कर विश्व शांति तथा देश दुनिया को कोरोना महामारी से निजात दिलाने की कामना की गई।
परशुराम मंदिर के पुजारी परिवार के शैलेंद्र नौटियाल ने बताया कि स्कंद पुराण के केदारखंड में उल्लेख है कि वरूणावत पर्वत की तलहटी में भगवान परशुराम ने भगवान विश्वनाथ की कठिन तपस्या की थी। यहीं उनका रौद्र रूप सौम्य होने के कारण उत्तरकाशी को सौम्य काशी के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तरकाशी में उत्तराखंड का इकलौता प्राचीन परशुराम मंदिर है। इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना तथा हवन यज्ञ कर विश्व कल्याण एवं कोरोना महामारी से निजात की कामना की गई। इस अवसर पर बुद्धि सिंह पंवार, सुभाष नौटियाल, महेंद्रपाल सजवाण, अनूप नौटियाल, अनिल बहुगुणा, नवीन नौटियाल, गणेश नौटियाल, संदीप भट्ट आदि लोग मौजूद रहे।