रेमडेसिविर: हरिद्वार में कोरोना संक्रमितों को बांटी जा रही थी 'मौत', जिम्मेदार थे बेखबर

Ankit Mamgain

रेमडेसिविर की खेप पकड़ने पहुुंची टीम
रेमडेसिविर की खेप पकड़ने पहुुंची टीम

 हरिद्वार प्रशासन रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है। ड्रग कंट्रोल विभाग और पुलिस भी मुस्तैदी का बखान करते हुए अपनी पीठ स्वयं थपथपा रही है, लेकिन इन सबके बीच जिले से नकली इंजेक्शन की सप्लाई की किसी को भनक तक नहीं लगी।



दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की ओर से नकली रेमडेसिविर के काले कारोबार से पर्दा उठाने के बाद अब प्रशासन, ड्रग कंट्रोल विभाग और पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है।



दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड में पकड़ी नकली रेमडेसिविर बनाने वाली फैक्टरी, हरिद्वार - रुड़की और कोटद्वार में की छानबीन, 


हरिद्वार से कोविड संक्रमितों को जीवनरक्षक दवाओं के नाम पर मौत बांटी जा रही थी। दो हजार से अधिक लोगों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन पांच से छह गुना दाम पर बेच दिए गए। पैसा खर्च करने बाद बाद भी न जाने इनमें से कितने लोग जिंदगी की जंग हार गए होंगे।


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अपने परिजनों के लिए दर-दर भटकने के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन जुटाने वाले लोग भी आखिर में नाउम्मीद हुए होंगे। ऐसे में नकली रेमडेसिविर के काले कारोबार से मानवता पर ही नहीं बल्कि प्रशासन, ड्रग कंट्रोल विभाग और पुलिस की छवि पर भी दाग लगा है।

भगवानपुर क्षेत्र इसके लिए बहुत पहले से बदनाम

यह पहली बार नहीं है, जब जिले में नकली दवाओं का भंडाफोड़ हुआ है। हरिद्वार का रुड़की और भगवानपुर क्षेत्र इसके लिए बहुत पहले से बदनाम है। बीते साल अगस्त में माधोपुर गांव में वीआर फार्मा दवा कंपनी पर औषधि नियंत्रण विभाग की टीम ने छापा मारा था। इस दौरान कंपनी से ब्रांड के नाम से करीब दो करोड़ रुपये की नकली दवाएं बरामद की गई थीं।


भगवानपुर के सिकंदरपुर में भी पुलिस ने नकली दवा फैक्टरी पकड़ी थी। इससे पहले औषधि नियंत्रण विभाग ने वर्ष 2020 के दिसंबर में आदर्श नगर, सोलानीपुरम और भगवानपुर औद्योगिक क्षेत्र में नकली दवा फैक्टरी का भंडाफोड़ किया था। यहां से करीब डेढ़ करोड़ रुपये की नकली दवाएं बरामद की गई थीं। इसके अलावा रुड़की के मेहवड़ और सलेमपुर में भी नकली दवा की फैक्टरी पकड़ी जा चुकी है।


तीन साल पहले भगवानपुर क्षेत्र के चुड़ियाला में भाजपा नेता के भाई का नाम भी इस काले कारोबार में सामने आया था। रामनगर औद्योगिक क्षेत्र, शिवपुरम और चंद्रपुरी में भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन इन सभी घटनाओं से प्रशासन, ड्रग कंट्रोल विभाग और पुलिस ने सबक नहीं लिया। ड्रग कंट्रोल विभाग की कार्रवाई केवल मेडिकल स्टोरों तक ही सिमट कर रह गई।

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