हरिद्वार: आचार्य बालकृष्ण बोले- कोरोनिल का विरोध करने वाले पतंजलि आएं, हम देंगे प्रमाण और जवाब

Ankit Mamgain

आचार्य बालकृष्ण - फोटो : पीटीआई
आचार्य बालकृष्ण - फोटो : पीटीआई

 बाबा रामदेव के एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर विवाद खड़ा होने के बाद पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को कोविड के इलाज में कारगर और प्रमाणित बताया है। उन्होंने कहा कि उनकी दवा कोरोनिल का विरोध और उसे दबाने का प्रयास किया गया।



आयुर्वेदिक कोरोनिल से लाखों मरीज ठीक हुए हैं। कोरोनिल पर किए गए शोध और प्रमाण हमारे पास हैं। यदि कोई चाहता है तो देश के विद्वान चिकित्सकों की एक कमेटी बनाई जाए। कमेटी को पतंजलि योग संस्थान भेजा जाए। कमेटी सदस्यों को हम सभी प्रमाण दिखाएंगे और उनके जितने भी सवाल होंगे उनका जवाब भी देने को तैयार हैं।



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बाबा रामदेव के विवादित बयान के बाद आचार्य बालकृष्ण की ओर से जारी बयान को कई मायनों में देखा जा रहा है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि मॉर्डन पैथी वालों ने कल्पना भी नहीं की थी कि आयुर्वेद में शोध एवं प्रमाणिकता पर आधारित कोविड की दवा एलोपैथी से पहले आ जाएगी। जब आयुर्वेद में दवा आई तो उनमें खलबली मच गई।


कुछ लोगों ने बहुत स्वागत किया, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जो जानना ही नहीं चाहते थे या पहले से ऐसी मानसिकता बनाए हुए थे कि इसका विरोध ही करना है। इसलिए उन्होंने विरोध किया और दबाने का प्रयास किया। लेकिन कोरोनिल ने काम किया और लोग ठीक हुए। लोगों ने दवा को स्वीकार किया और इसलिए सेवन कर रहे हैं।

रोगी का हित सर्वोपरि मानते हुए इलाज और काम करना चाहिए

बालकृष्ण ने कहा कि उनके जो शोध और प्रमाण हैं उनको स्वीकार करें और मानें। प्रत्येक पैथी की सीमाओं को स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके पास आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के कई डॉक्टर रोजाना आते हैं। हम उनसे कभी ये नहीं कहते हैं कि मार्डन सिस्टम वाले हमारे यहां क्यों आते हैं।


जो इलाज हमारे सामर्थ्य में है उसके लिए लोग हमारे पास आएंगे ही। गंभीर समस्या होने पर एलोपैथी में ही जाएंगे। कई बार हम खुद भी क्रिटिकल मैनेजमेंट वाले मरीजों को एलोपैथी चिकित्सकों के पास भेजते हैं।


उन्होंने कहा कि परस्पर सहयोग की भावना देश के अंदर बढ़े और जिन भी पद्धतियों से रोगों को ठीक कर सकते हैं किया जाए। आयुर्वेद की क्षमताओं को स्वीकार किया जाए। किसी भी पैथी से जुड़े चिकित्सक हों, लक्ष्य एक ही है। रोगी का हित सर्वोपरि मानते हुए इलाज और काम करना चाहिए।

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