प्रतीकात्मक तस्वीर |
उत्तराखंड सरकार के सामने कोरोना से हो रही मौतें रोकना सबसे पहली व बड़ी चुनौती बन गई है। चिंता की बात है कि मंगलवार तक के आंकड़ों के हिसाब से उत्तराखंड में कोरोना की मृत्युदर राष्ट्रीय मृत्यु दर से 64 प्रतिशत अधिक आंकी गई। पंजाब के बाद राज्य में कोरोना से मृत्यु दर देश में दूसरे स्थान पर है।
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हालांकि, कोविड कर्फ्यू के बाद राज्य में संक्रमण की दर में कमी आई है। पिछले एक सप्ताह में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार कम हुई है लेकिन इससे मरने वालों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। सरकार के सामने इसको रोकना ही सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। इस चुनौती को ब्लैक फंगस ने और कठिन बना दिया है।
अब तक 6020 लोगों की मौत
राज्य में कोरोना की पहली और दूसरी लहर में 25 मई तक 6020 लोगों की मौत हो चुकी है। उत्तराखंड में कोविड से मृत्युदर 1.89 प्रतिशत है। जबकि राष्ट्रीय मृत्यु दर 1.15 प्रतिशत आंका गया है। इस हिसाब से उत्तराखंड में कोरोना मृत्यु दर राष्ट्रीय दर से 64 प्रतिशत अधिक है।
मई में सबसे अधिक 56 प्रतिशत की मौत
कोरोना की दूसरी लहर में मई में अब तक 25 दिन कोरोना संक्रमितों पर कहर बनकर टूटे हैं। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन के मुताबिक, मंगलवार तक इस बीमारी से 3396 लोग मर चुके हैं, जो अब तक हुई कुल 6020 मौत का 56 प्रतिशत है। जबकि कोरोना की पहली लहर में 15 मार्च 2020 से 30 अप्रैल 2021 तक 2624 लोगों की मौत हुई, जो कुल मौत का 44 प्रतिशत है।
सबसे अधिक मौत मैदान में
जिला मौत
देहरादून 3011
नैनीताल 829
हरिद्वार 797
पहाड़ में ये है हाल
पौड़ी 241
अल्मोड़ा 125
पिथौरागढ़ 104
12 दिन में 506 मौत का बैकलॉग
पिछले 12 दिनों में स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन में 506 मौत का बैकलॉग दिखाया जा चुका है। पिछले नौ दिनों से यह बैकलॉग लगातार जारी है।
कोविड कर्फ्यू के बाद कोरोना संक्रमण के मामले घटे हैं, लेकिन अब भी जो मामले हैं, उन्हें कम नहीं माना जा सकता। कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या भी बढ़ी है। कोरोना हो रही मौत के मामलों की मुख्य वजह इलाज के लिए देरी से अस्पताल पहुंचना है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जितना अधिक कोविड जांच कराएंगे, उनके ठीक होने की उतनी ज्यादा संभावना रहेगी।
- सुबोध उनियाल, शासकीय प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री
मृत्युदर के मामले में पंजाब के बाद उत्तराखंड देश में दूसरे स्थान पर है। यह चिंताजनक बात है और साथ ही सरकार के लिए भी यह चुनौती है। जांच का दायरा बढ़ाकर, अस्पतालों में सुविधाएं जुटाकर और लोगों को जागरूक करके संक्रमण की दर और लोगों को गंभीर स्थिति में जाने से रोका जा सकता है।
- अनूप नौटियाल, संस्थापक, सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन
कोविड 19 महामारी की रोकथाम करने में राज्य सरकार पूरी तरह से विफल रही है। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए उसके कोई इंतजाम नहीं है। लोग इंजेक्शन के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। गांवों में संक्रमण फैल रहा है, लेकिन वहां न जांच है न दवा है।
- प्रीतम सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस