कोरोना संक्रमण: उत्तराखंड को मिलने लगी स्थानीय स्तर पर उत्पादित ऑक्सीजन, केंद्र ने दी स्वीकृति

Ankit Mamgain

ऑक्सीजन
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 उत्तराखंड में अब प्रदेश में ही उत्पादित ऑक्सीजन की आपूर्ति होने लगी है। हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद केंद्र सरकार ने इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंगलवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस वार्ता के दौरान स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि केंद्र सरकार ने प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति स्थानीय स्तर पर ही करने की स्वीकृति दे दी है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने केंद्र से इसके लिए अनुरोध किया था।



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इंडिया ग्लाइकोस काशीपुर से 40 मीट्रिक टन, लिंडे सेलाकुई से 100 मीट्रिक टन, ए लिक्विट से 33 मीट्रिक टन और इसके अलावा अन्य इकाइयों से 27 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अभी तक 11 ऑक्सीजन प्लांट लग चुके हैं। नैनीताल, हल्द्वानी, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली मेडिकल कॉलेज श्रीनगर, चंद्र मोहन सिंह नेगी बेस अस्पताल कोटद्वार में प्लांट शुरू किए जा चुके हैं। इनके अलावा जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग, मेला अस्पताल हरिद्वार, जिला अस्पताल हरिद्वार, जिला अस्पताल रुद्रपुर, नरेंद्रनगर, जिला अस्पताल चमोली, उत्तरकाशी में ऑक्सीजन प्लांट लग चुके हैं। सरकार की कोशिश है कि सभी जिला अस्पतालों व उप जिला अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाए जाएं। चंपावत, पिथौरागढ़ और बागेश्वर में भी जल्द प्लांट चालू हो जाएंगे। 


स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में रोजोना 30 हजार से अधिक टेस्टिंग हो रही है, यह सभी राज्यों में सर्वाधिक है। सचिव ने कहा कि अब प्रदेश में कोरोना की रफ्तार कम होने लगी है। कोविड कर्फ्यू व दूसरे प्रयासों से संक्रमण पर काफी हद तक रोक लग रही है। वर्तमान में कोविड रिकवरी दर 81 प्रतिशत पर पहुंच गई है, हम पहले से बेहतर स्थिति में हैं। उन्होंने बताया कि 27 अप्रैल से तीन मई के बीच औसत संक्रमित केस 5887 थे, चार मई से 10 मई के बीच 7375, 11 मई से 17 मई को औसत 5887 और 18 मई से 24 मई के बीच औसत संक्रमित केस 3397 रह गए। 

ब्लैक फंगस : इंजेक्शनों के लिए भेजी मांग

सचिव डॉ.पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसका कारण यह भी है कि एम्स ऋषिकेश में पंजाब, हरियाणा आदि बाहरी प्रांतों के मरीज भी ब्लैक फंगस का उपचार करा रहे हैं। यहां 100 से अधिक केस दर्ज हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 12 डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों को ब्लैक फंगस के उपचार के लिए अधिकृत किया गया है।


ताकि दवा व अन्य व्यवस्थाओं का बेहतर प्रबंधन हो सके। कहा कि इस उपचार में एमफोटरिसम बी का अहम रोल रहा है। प्रदेश को कोटे के हिसाब से 170 लाइफोसोमन मिली थीं, जिसमें 90 का उपयोग किया जा चुका है। 430 एमफोटरिसम में से 261 का उपयोग किया जा चुका है। प्रदेश में इन इंजेक्शनों की पर्याप्त आपूर्ति के लिए अन्य संस्थानों को भी ऑर्डर किया गया है, ताकि किसी प्रकार की दिक्कत ना हो।


मानसिक अवसाद ग्रस्त लोगों के लिए 104 नंबर

मानसिक स्वास्थ्य और पोस्ट कोविड मैनेजमेंट के स्टेट नोडल अफसर डीआईजी डॉ.नीलेश भरणे ने बताया कि मानसिक अवसाद से गुजर रहे लोगों की मदद के लिए सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर 104 जारी किया है। एक मनु सारथी कार्यक्रम भी चलाया गया है। इस तरह की समस्याओं के समाधान के लिए 109 काउंसलर नियुक्त किए गए हैं। इसमें रोजाना 25 से 50 कॉल्स रोज आ रही हैं। गंभीर मामलों के उपचार के लिए एम्स अस्पताल में भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा ऑनलाइन वेबीनार व सेमिनार के जरिये भी उपचार व जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

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