प्रतीकात्मक तस्वीर |
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी पर प्रदेश एवं केंद्र सरकार से हर अस्पताल में बच्चों के लिए अलग से कोविड वार्ड बनाए जाने का सुझाव दिया है।
आयोग का यह भी कहना है कि पंचायत घर एवं सरकारी स्कूलों को कोविड प्राथमिक उपचार केंद्र बनाया जाए। इससे शहर के अस्पतालों में मरीजों के बढ़ते दबाव को कम किया जा सकेगा। वहीं प्रभावितों को अपने घर के पास स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल सकेगा।
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आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी के मुताबिक रुद्रप्रयाग में हाल ही में कोरोना से 40 बच्चे संक्रमित हुए हैं। इसके अलावा नवजात बच्चे भी इससे संक्रमित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा खतरनाक होगी। जो खासकर बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए अभी से कार्ययोजना तैयार कर काम शुरू कर देना चाहिए।
आयोग की ओर से इस संबंध में केंद्र एवं प्रदेश सरकार को बच्चों की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाने का सुझाव दिया गया है। आयोग की अध्यक्ष के मुताबिक केंद्र की ओर से राज्य सरकार को लिखा गया है कि बच्चों की सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
आयोग ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए अभिभावकों को जागरूक करने के साथ ही इस मामले में काउंसिलिंग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहले युवाओं को फिर बच्चों को इसके बाद बुजुर्गों को वैक्सीन लगनी चाहिए थी।
आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्री को लिखा पत्र
आयोग की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि हर ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी स्कूल और पंचायत घर में कोविड उपचार केंद्र बनाया जाए, इन केंद्रों में 20 से 40 बेड की व्यवस्था हो, इन केंद्रों के लिए कोरोना किट की व्यवस्था की जाए। जबकि निगरानी ग्राम एवं वन पंचायतों द्वारा की जाए। जरूरत पड़ने पर इन केंद्रों से मरीजों को कोविड अस्पताल भेजा जाए।
युवाओं को जल्द लगेगी वैक्सीन: रेखा
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्ययमंत्री रेखा आर्य के मुताबिक सरकार की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि जल्द 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों को कोविड वैक्सीन लगे। उन्होंने कहा कि 45 से अधिक आयु वर्ग के 95 फीसदी लोग इससे कवर हो चुके हैं। युवाओं को कोविड वैक्सीन लगने से बच्चों में संक्रमण के प्रभाव को कम किया जा सकेगा। बाल विकास राज्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में आंगनबाड़ी केंद्र एवं स्कूल बंद हैं। जरूरत है कि लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक किया जाए। उन्हें बताया जाए कि घर से न निकलें और मास्क पहनें।
स्कूलों में 23 लाख से अधिक बच्चे, कार्ययोजना तैयार नहीं
प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में 23 लाख से अधिक बच्चे हैं। इसके अलावा 18 से कम आयु वर्ग के डिग्री कालेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं, आंगनबाड़ी केंद्रों एवं स्कूल से बाहर भी बच्चों की संख्या अच्छी खासी है। हैरानी की बात यह है कि कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी के बाद भी इन बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कार्ययोजना तैयार नहीं है।
तीसरी लहर के आने से पहले हो जाए टीकाकरण: हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने देश में वैक्सीन की कमी का सवाल उठाया है। ट्वीट कर रावत ने कहा है कि आखिर 18 से 45 वर्ष के लोगों के लिए वैक्सीन कब उपलब्ध होगी? अभी 18 से 45 वर्ष तक की युवाओं का टीकाकरण शुरू तक नहीं हुआ है और तीसरी लहर के लिए वैज्ञानिकों की चेतावनी सामने है। कोरोना वैक्सीन के वेयर हाउस भारत को अपने पड़ोसियों से वैक्सीन की मदद मांगनी पड़ रही है।
उत्तराखंड में वैक्सीनेशन कब शुरू होगा, यह साफ नहीं है। देश की कोई स्पष्ट पारदर्शी वैक्सीनेशन पॉलिसी दिखाई नहीं दे रही है। वैक्सीनेशन को लेकर राष्ट्रीय दृष्टिकोण में असमंजस है। यह असमंजस वैक्सीन उत्पादन और वैक्सीनेशन पॉलिसी, दोनों को लेकर है। केंद्र सरकार ने 18 से 45 वर्ष के लोगों की वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन तो प्रारंभ करवा दिया है, यह रजिस्ट्रेशन इंटरनेट पर हो रहा है।
मगर देश का एक बड़ा हिस्सा इंटरनेट सुविधा से वंचित है। आज कोरोना दूरदराज गांवों तक पहुंच चुका है तो अपनी आबादी के इस बड़े हिस्से को वैक्सीनेशन अभियान के साथ जोड़ने के लिए भी वैकल्पिक उपाय निर्धारित किए जाने चाहिए और यह सारे उपाय तीसरी लहर के आने से पहले मुकम्मल हो जाने चाहिए।