कोरोना वायरस की जांच (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : iStock |
उत्तराखंड में बीते 24 घंटे में 3050 संक्रमित मामले और 53 मरीजों ने दम तोड़ा है। वहीं, 6173 मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया। अब तक 247603 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। वर्तमान में 54735 सक्रिय मरीजों का उपचार चल रहा है। कुल संक्रमितों की संख्या 313519 हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक रविवार को 38062 सैंपलों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। देहरादून जिले में 716 कोरोना मरीज मिले हैं। ऊधमसिंह नगर में 537, हरिद्वार में 364, टिहरी में 276, नैनीताल में 224, पिथौरागढ़ में 182, रुद्रप्रयाग में 178, चमोली में 161, पौड़ी में 144, उत्तरकाशी में 96, चंपावत में 73, अल्मोड़ा में 54, बागेश्वर जिले में 45 संक्रमित मिले हैं।
उत्तराखंड में कोरोना : तीसरी लहर के खतरे के बीच राज्य में पिछले बीस दिनों में 2044 बच्चे हुए संक्रमित
प्रदेश में 24 घंटे में 53 कोरोना मरीजों की मौत हुई है। जबकि देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, ऊधमसिंह नगर और उत्तरकाशी जिले में अलग-अलग अस्पतालों ने पूर्व में हुई 18 कोरोना मरीजों की मौत की डेथ ऑडिट रिपोर्ट दी है। इन्हें मिला कर प्रदेश में कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा 5805 हो गया है। प्रदेश में प्रदेश की रिकवरी दर 78.98 प्रतिशत और संक्रमण दर 6.94 दर्ज की गई है।
कोरोनाकाल में मां-बाप को खोने वाले बच्चों का सहारा बनेगी वात्सल्य योजना
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि कोरोना काल में मां-बाप को खो चुके बच्चों के लिए मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना बड़ी सौगात साबित होगी। उन्होंने इसे सरकार की सराहनीय पहल बताया।
विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि कोरोना वायरस की पहली और दूसरी लहर के प्रकोप के बीच मुसीबत का पहाड़ उन बच्चों पर टूटा, जिन्होंने महामारी की वजह से अपने माता-पिता दोनों को खो दिया। वे बेसहारा हो गए। ऐसे बच्चों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा इस योजना के माध्यम से उठाया गया कदम बेहद लाभकारी है।
उन्होंने कहा कि राज्य के ऐसे बच्चों की आयु 21 वर्ष होने तक उनके भरण-पोषण व शिक्षा की व्यवस्था के लिए प्रतिमाह तीन हजार रुपये का भत्ता दिया जा रहा है। साथ ही ऐसे सभी बच्चों को राज्य की सरकारी नौकरियों में पांच प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण भी दिया जा रहा है। विस अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच प्रदेश के भीतर अनाथ अथवा निराश्रित हुए बच्चे अब राज्य की संपत्ति हैं। उन सभी बच्चों का वर्तमान एवं भविष्य सुरक्षित होगा।