गंगोत्री धाम |
चारधाम यात्रा के प्रमुख तीर्थ गंगोत्री धाम के कपाटोद्घाटन की तैयारियां पूरी हो गई हैं। शुक्रवार को शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव से मां गंगा की भोग मूर्ति को डोली यात्रा के साथ गंगोत्री धाम के लिए रवाना किया गया। डोली यात्रा भैरोंघाटी स्थित प्राचीन भैरव मंदिर में रात्रि विश्राम के पश्चात शनिवार तड़के गंगोत्री पहुंचेगी। जिसके बाद सुबह साढ़े सात बजे गंगोत्री मंदिर के कपाट खुलेंगे।
कोविड महामारी के चलते इस बार तीर्थ पुरोहितों के गांव मुखबा में कोई विशेष उत्साह नहीं दिखा। शुक्रवार सुबह मुखबा स्थित गंगा मंदिर में मां गंगा की विशेष पूजा अर्चना की गई। पूर्वाह्न पौने बारह बजे मंदिर के गर्भगृह से मां गंगा की भोग मूर्ति के साथ ही मां सरस्वती एवं मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को बाहर निकालकर डोली में विराजमान किया गया।
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गांव में मौजूद करीब 25 पुरोहित परिवारों ने आराध्य समेश्वर देवता की डोली की मौजूदगी में मां गंगा की डोली यात्रा का विदा किया। इस बार कोविड गाइड लाइन के चलते महज 21 लोग ही डोली यात्रा में शामिल हुए। सेना का पाइप बैंड भी डोली यात्रा में शामिल नहीं हो पाया।
मुखबा से मार्कण्डेय, जांगला होते हुए डोली यात्रा कोपांग पहुंची। जहां आईटीबीपी के हिमवीरों ने धूप-दीप जलाकर एवं पुष्पवर्षा कर मां गंगा को गंगोत्री के लिए विदा किया। शाम करीब चार बजे डोली यात्रा भैरोंघाटी पहुंची। डोली यात्रा के दौरान यात्रा पथ मां गंगा के जयकारों से गूंजता रहा।
भैरव मंदिर में रात्रि जागरण का आयोजन किया गया
शुक्रवार रात को यहां स्थित प्राचीन भैरव मंदिर में रात्रि जागरण का आयोजन किया गया। डोली यात्रा में प्रशासन के प्रतिनिधि सीओ हीरालाल बिजल्वाण के साथ ही मंदिर समिति के अध्यक्ष पं.सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल, राजेश सेमवाल, अशोक सेमवाल, रविंद्र सेमवाल, हरीश सेमवाल, राकेश सेमवाल, उमाकांत सेमवाल, सुशील सेमवाल, केशव सेमवाल, कृपाराम सेमवाल आदि शामिल हुए।
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष पं.सुरेश सेमवाल ने बताया कि मां गंगा की डोली यात्रा भैरोंघाटी से शनिवार तड़के चार बजे गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी। गंगोत्री पहुंचकर विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान के साथ अक्षय तृतीया की पावन बेला में सुबह साढ़े सात बजे गंगोत्री मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इस अवसर पर विश्व कल्याण के साथ ही कोरोना महामारी से निजात के लिए यज्ञ हवन कर आहुतियां डाली जाएंगी।