शव - फोटो : प्रतीकात्मक तस्वीर |
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में ब्लैक फंगस से अल्मोड़ा निवासी 69 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई। वहीं संस्थान में ब्लैक फंगस के चार नए केस मिले हैं।
उत्तराखंड में ब्लैक फंगस जानलेवा होता जा रहा है। ब्लैक फंगस से प्रदेश में मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। अल्मोड़ा बेस अस्पताल में ब्लैक फंगस के संदिग्ध लक्षण मिलने के बाद एक 69 वर्षीय मरीज को एसटीएस हल्द्वानी रेफर किया था। यहां से मरीज को एम्स ऋषिकेश भेज दिया गया।
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एम्स में जांच के दौरान मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई। जिसके बाद मरीज को ब्लैक फंगस केयर वार्ड में भर्ती किया गया, लेकिन चिकित्सकों के तमाम प्रयासों के बाद मरीज ने बुधवार देर रात को दम तोड़ दिया। यह ब्लैक फंगस से प्रदेश में तीसरी मौत है। वहीं, बुधवार को सितारगंज के एक ब्लैक फंगस से संदिग्ध मरीज की भी मौत हो चुकी है।
एम्स ऋषिकेश के ईएनटी विभाग के डॉ. अमित त्यागी ने बताया कि संस्थान में ब्लैक फंगस के अब तक 46 केस मिल चुके हैं। इनमें से उत्तराखंड के दो और उत्तरप्रदेश के मरीज की मौत हुई है। एक 81 वर्षीय महिला को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया था। वहीं, अभी 42 मरीज भर्ती हैं।
महिला में ब्लैक फंगस की पुष्टि, आंख का करना पड़ा ऑपरेशन
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल पटेलनगर में एक महिला मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। ब्लैक फंगस होने के बाद महिला की आंख में संक्रमण हो गया था। जिसके चलते डॉक्टरों को महिला की आंख का ऑपरेशन करना पड़ा। फिलहाल महिला अस्पताल में भर्ती है।
गढ़वाल मंडल के एक जिले से अस्पताल पहुंची महिला मरीज के पति देहरादून में शिक्षण संस्थान से जुड़े हुए हैं। अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि महिला से मिली जानकारी के मुताबिक, उन्हें पहले कोरोना हुआ था। घर पर ही ऑक्सीजन लगाने के बाद वह स्वस्थ हो गई थीं।
अब 11 दिन बाद आंख में दिक्कत हुई तो वह परिजनों के साथ अस्पताल पहुंचीं। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के डॉक्टरों ने 18 मई को भर्ती हुई इस महिला के ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देने पर विभिन्न जरूरी जांच की, जिसमें ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई। आंख में संक्रमण बढ़ने के कारण आंख का ऑपरेशन करना पड़ा। बताया जा रहा है कि महिला मधुमेह (शुगर) की भी समस्या से पीड़ित गई। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने इस मामले की पुष्टि की है।
बारिश में नमी से बढ़ा ब्लैक फंगस का खतरा
बारिश के चलते वातावरण में नमी बढ़ गई है। पुराने घरों में पानी रिसने से दीवारों में नमी आ गई है। लोग पुराने और नमी वाले स्थान पर रखे मास्क का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। वहीं बारिश के दौरान गीली मिट्टी के संपर्क में आ रहे हैं। ऐसे में ब्लड शुगर से ग्रस्त पोस्ट कोविड मरीजों और होम आइसोलेट संक्रमितों के ब्लैक फंगस की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए बारिश के दौरान सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।
एसपीएस राजकीय चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. सुदेश कोठियाल का कहना है कि बारिश के कारण वातावरण में 90 फीसदी तक नमी बढ़ गई है। बारिश से घरों की दीवारों में भी नमी आ रही है। उन्होंने बताया कि घर में रखे पुराने मास्क में नमी आ जाती है। धूप न होने के चलते कई बार लोग गीले तौलिए का प्रयोग भी कर लेते हैं।
डॉ. कोठियाल ने बताया गमलों की मिट्टी में बारिश से काफी नमी आ जाती है। उन्होंने बताया कि पुराने मास्क, गीला तौलिया और गमलों की मिट्टी ब्लैक फंगस का कारण बन सकती है। खासकर ऐसे पोस्ट कोविड मरीज जो स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं या होम आइसोलेट संक्रमित जो हाई ब्लड शुगर से ग्रस्त हैं, वे संक्रमण की जद में आ सकते हैं।
स्टेरॉयड लेने वाले मरीज भी ब्लैक फंगस का आसान टारगेट होते हैं। डॉ. सुदेश कोठियाल ने कहा कि ब्लैक फंगस से बचाव के लिए पुराने मास्क और गीले तौलिए के प्रयोग से बचें। मिट्टी के संपर्क में आए स्थान को साबुन से धोकर साफ करें। अगर आंखों और नाक के आसपास लालिमा, सूजन, जबड़ो में दर्द, मानसिक स्थिति में बदलाव, बुखार और सिरदर्द जैसे लक्षण हैं तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।