बेसहारा रेणू रावत अपने बच्चों के साथ |
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इन बच्चों की संख्या अभी और बढ़ सकती है। प्रदेश में वात्सल्य योजना की घोषणा के बाद लगातार इस तरह के बच्चों के मामले सामने आ रहे हैं। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की ओर से हर जिले में विभिन्न माध्यमों से इस तरह के बच्चों का पता लगाया जा रहा है। विभाग को पिछले दो महीने के भीतर इस तरह के बच्चों के अब तक जो आकड़े मिले हैं।
उसमें प्रदेश में सबसे अधिक 42 बच्चे हरिद्वार जिले के हैं, जो अपने माता पिता या फिर दोनों में से किसी एक को कोविड की वजह से खो चुके हैं। जबकि नैनीताल में 23 और देहरादून में 17 मामले अब तक सामने आए हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि योजना के प्रस्ताव को कैबिनेट या फिर मुख्यमंत्री ने अपने विशेषाधिकार से अब तक मंजूरी नहीं दी। यही वजह है कि इसका शासनादेश नहीं हो पाया है।
शासनादेश जारी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के बच्चों का पता तो लगाया जा रहा है, लेकिन शासनादेश जारी होने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि बच्चों को माता पिता दोनों में से किसी एक की मौत पर भी बच्चे को इसका लाभ मिलेगा या नहीं।
अनाथ हुए बच्चों को किस तरह की मदद की जानी है, शासनादेश जारी होने के बाद ही इस पर स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। फिलहाल विभागीय अधिकारी अपनी तैयारी के तौर पर कोविड से माता पिता को खो चुके बच्चों के साथ ही दोनो में से किसी एक को खो चुके बच्चों का भी पता लगाने में जुटे हैं।
पिछले दो महीने में कोविड से कमाऊ सदस्य की मौत के 114 मामले
प्रदेश में पिछले दो महीने के भीतर कोविड से अपने माता पिता को खो चुके 9 बच्चों का पता चला है। इसके अलावा माता पिता में से एक की पहले और एक की वर्तमान में कोविड से मौत के 14 मामले सामने आए हैं।
कोविड से कुमाऊ सदस्य की मौत के अब तक 114 प्रकरण मिले हैं। जिसमें उत्तरकाशी में 14, पिथौरागढ़ में 7, टिहरी गढ़वाल में 13, पौड़ी गढ़वाल में 2, नैनीताल में 20, हरिद्वार में 35, देहरादून में 14, चंपावत में 5 एवं चमोली में कमाऊ सदस्य के मौत के चार मामले सामने आए हैं।
सरकार ने वात्सल्य योजना का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, मुख्यमंत्री इसे विशेषाधिकार से मंजूरी दे सकते हैं, इस बीच इसमें इस वजह से कुछ देरी हुई है कि केंद्र सरकार की ओर से भी इस तरह के बच्चों के लिए घोषणा की गई है, प्रदेश सरकार को केंद्र के जीओ का इंतजार है, ताकि प्रस्ताव में कुछ छूट रहा हो तो उसे कवर किया जा सके।
- रेखा आर्य, राज्यमंत्री महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास