चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर अपाचे हेलीकॉप्टर |
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर जल्द वायुसेना का गजराज कहे जाने वाला भारी मालवाहक विमान हरक्यूलिस उतरने जा रहा है। सोमवार को बरेली एयरबेस से पहुंचे एमआई-17 और अपाचे हेलीकॉप्टरों ने यहां हरक्यूलिस की लैंडिंग से पहले रनवे पर उतरकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
चीन सीमा से लगे सीमांत जनपद उत्तरकाशी में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा भारतीय वायुसेना के लिए सामारिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि यहां वायुसेना अब तक अपने कई विमानों की सफलता पूर्वक लैंडिंग करा चुकी है।
वहीं राज्य सरकार वायुसेना के अनुरोध पर हवाई अड्डे के रनवे की लंबाई 150 मीटर और बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। वायु सेना की योजना यहां दुनिया का सबसे बड़े मालवाहक विमानों में शामिल हरक्यूलिस विमान की लैंडिंग कराने की है, जिसके लिए सप्ताहभर पहले वायुसेना के बरेली एयरवेज से पहुंचे अफसरों ने रनवे का मौका मुआयना किया था।
उस समय रनवे के छोर पर मिट्टी के ढेर होने के कारण उन्होंने हरक्यूलिस की लैंडिंग को लेकर किसी तरह का जोखिम नहीं लिया। बाद में वायुसेना के अनुरोध पर रनवे के छोरों पर मिट्टी के ढेरों का समतलीकरण कार्य शुरू हुआ।
एमआई-17 और दो अपाचे हेलीकॉप्टरों ने लैंडिंग व टेक ऑफ कर व्यवस्थाएं परखी
सोमवार को दोबारा बरेली एयरबेस से पहुंचे वायुसेना के दो एमआई-17 व दो अपाचे हेलीकॉप्टरों ने रनवे पर लैंडिंग व टेक ऑफ कर व्यवस्थाएं परखी। इस दौरान हरक्यूलिस विमान ने भी इन हेलीकॉप्टरों की लैंडिंग से पहले हवाई अड्डे पर चल रहे मिट्टी समतलीकरण कार्य का जायजा लिया। सूत्रों के अनुसार यहां मिट्टी समतलीकरण का कार्य पूरा होते ही जल्द वायुसेना के गजराज रक्यूलिस विमान की लैंडिंग व टेक ऑफ का अभ्यास किया जाएगा। हालांकि पूर्व में भी आपदा के दौरान यहां एक बार हरक्यूलिस विमान की लैंडिंग हो चुकी है।
यह है हरक्यूलिस विमान की खासियत
अमेरिका से खरीदे गए सी-130 जे- सुपर हरक्यूलिस विमान भारतीय वायुसेना के सबसे ताकतवर विमानों से एक है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह 20 टन के भार के साथ कहीं भी लैंडिंग व टेक ऑफ कर सकता है। एक बार में 92 लड़ाकू सैनिकों या 64 पैराट्रूपर्स को लाने-ले जाने में सक्षम है। यह विमान छोटी हवाई पट्टी से भी उड़ान भरने या लैंड करने की क्षमता रखता है।