कोरोना संकट के बीच पैरासिटामोल का कच्चा माल दोगुना से भी ज्यादा महंगा | Corona In Uttarakhand

कोरोना संकट के बीच सिडकुल की फार्मा कंपनियों को पैरासिटामोल टेबलेट और सिरप का रॉ मैटेरियल (कच्चा माल) पहले से दोगुने से ज्यादा रेट पर मिल रहा है।

कोरोना संकट के बीच पैरासिटामोल का कच्चा माल दोगुना से भी ज्यादा महंगा | Corona In Uttarakhand


कोरोना संकट के बीच सिडकुल की फार्मा कंपनियों को पैरासिटामोल टेबलेट और सिरप का रॉ मैटेरियल (कच्चा माल) पहले से दोगुने से ज्यादा रेट पर मिल रहा है। साथ ही कच्चे माल की 35 फीसदी तक कमी भी हो गई। उद्यमियों के मुताबिक दिल्ली में लॉकडाउन के चलते ऐसा हुआ है। जल्द स्थिति न सुधरी तो फैक्ट्रियों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। सिडकुल में 70 से अधिक फार्मा कंपनियां हैं। कोविड-19 में पैरासिटामोल का अधिक उपयोग है। उद्योगपतियों का कहना है कि दिल्ली में लॉकडाउन के चलते रॉ मैटेरियल मिलने में समस्या आ रही है। मार्केट से पैरासिटामोल की डिमांड बढ़ने से फार्मा कंपनियों में दबाव बढ़ गया है।


उद्योगपतियों ने कहा कि रॉ मैटेरियल की दरें बढ़ने के बाद भी वह दवाओं पर सरकारी रेट से ऊपर पैसा नहीं बढ़ा सकते हैं। सिडकुल फार्मास्युटिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल शर्मा का कहना है कि दवा की समस्या नहीं है, लेकिन रॉ मैटेरियल की दरों में उछाल आया गया है। फार्मा उद्योगपति अर्चित विरमानी ने कहा कि छह  माह पहले 350 रुपये प्रति किलो कच्चा माल खरीदते थे। लेकिन अप्रैल माह में लगातार दाम बढ़े हैं। आज वही कच्चा माल 750 रुपये किलो खरीदना पड़ रहा है। 


अन्य दवाओं के रॉ मैटेरियल के दाम भी बढ़े

रुड़की। रुड़की और भगवानपुर में करीब अस्सी फार्मा उद्योग हैं। फार्मा एसोएशिन के अध्यक्ष कुलदीप कुमार का कहना है कि दवाओं के रॉ मैटेरियल के दाम आसमान छू रहे हैं। पैरासिटामोल बनाने का कच्चा माल अब 750 रुपये किलो तक हो गया है। वहीं, एंटीबायोटिक बनाने में जो माल 7000 का आता था वह 12 हजार का हो गया है। कुछ दवाओं के कच्चे माल के जो रेट पहले सत्रह हजार थे वह आज 55 हजार पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि सरकार को इसमें तत्काल दखल देना चाहिए।


उत्पादन प्रभावित हो रहा

विकासनगर। उत्तराखंड वेलफेयर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और दवा कंपनी के उपाध्यक्ष जितेंद्र कुमार का कहना है कि पैरसिटामोल की डिमांड बाजार में अधिक होने के बावजूद कच्चे माल की कमी के कारण पचास प्रतिशत उत्पादन कम हो गया है। कंपनियों के पास महज एक से डेढ़ माह के लिए ही स्टॉक बचा हुआ है। ऐसे में जल्द कच्चा माल आसानी से उपलब्ध नहीं होता है तो कंपनियों में उत्पादन पूरी तरह से ठप हो सकता है। एक बार फिर से कच्चे माल की कीमतों के दाम बढ़ने के आसार भी बढ़ गए हैं।  


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