कैलाश पर्वत के पास स्थित है राक्षसताल और गौरीकुंड। राक्षसताल के बारे में कहा जाता है इसमें स्नान करना से मना किया जाता है।दरअसल मान्यताओं के अनुसार रावण ने इस कुंड में डुबकी लगाईं थी और उसके मन पर बुरा असर हुआ था। वहीं,गौरीकुंड पार्वती के स्नान की निजी जगह है। इसलिए हमेशा इससे एक दूरी बना कर रखी गई। श्रद्धालुओं का मानना है कि वह आज भी वहां रोज आकर स्नान करती हैं।
हमारे सहयोगी स्पीकिंग ट्री में सदगुरु जग्गी द्वारा लिखे ब्लॉग के अनुसार रावण एक बहुत बड़ा भक्त, बतौर राजा एक महान प्रशासक और बेहद प्रतिभाशाली इंसान था। वह शिव की आराधना करने कैलाश पर गया था। शिव के पास जाने से पहले रावण नहाना चाहता था, इसलिए उसने राक्षस ताल में डुबकी मार ली। नहाकर जब शिव से मिलने चला तो रास्ते में उसकी नजर पार्वती पर पड़ी। शिव के पास पहुंच कर रावण नें उनकी स्तुति की।
शिवजी से मांगी थी पार्वती
शिवजी के रावण की इस भक्ति से शिव बहुत प्रसन्न हुए। प्रसन्न होकर उन्होंने रावण से कहा कि अच्छा बताओ तुम्हें क्या चाहिए? इस पर उस मूर्ख ने कहा, मुझे आपकी पत्नी चाहिए। मान्यताओं के अनुसार उसकी बुद्धि इसलिए फिर गई, क्योंकि उसने राक्षसताल में डुबकी मारी थी। उस ताल में नहाने से उसके दिमाग में ऐसे गलत विचार आए। अब यह तो हमें पता नहीं कि ताल में नहाने से उसका दिमाग में यह जहर भरा या वह दक्षिण से ही ऐसी सोच के साथ आया था।
ये है वैज्ञानिक कारण
राक्षसकुंड में नहाने से मना करने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी बताया जाता है। कहा जाता है कि इसके पानी में कुछ खास तरह की प्राकृतकि गैसें मिली हुई हैं, जो पानी को थोड़ा जहरीला सा बनाती हैं। हो सकता है कि इसके पानी से आप मरें नहीं, लेकिन इसका आप पर कुछ नकारात्मक असर हो सकता है। इसलिए जो लोग संवेदनशील हैं उनका कहना है कि यह ताल नहाने के लिए ठीक नहीं है।