उड़ान योजना: देहरादून-पिथौरागढ़ और चिन्यालीसौड़-गौचर हवाई सेवाओं के दोबारा होंगे टेंडर

Ankit Mamgain

उड़ान - फोटो : pixabay
उड़ान - फोटो : pixabay

 उड़ान योजना के तहत देहरादून-पिथौरागढ़-हिंडन और सहस्त्रधारा-चिन्यालीसौड़-गौचर मार्ग पर हवाई सेवाएं नियमित करने के लिए दोबारा टेंडर जारी किए जाएंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुरोध पर केंद्रीय नागरिक उड्ड्यन व शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने यह आश्वासन दिया। उन्होंने उत्तराखंड के सभी बड़े और छोटे शहरों को जल जीवन मिशन में शामिल करने पर भी अपनी सहमति दी। 



नई दिल्ली प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने सोमवार को केंद्रीय मंत्री से भेंट की। मुख्यमंत्री के आग्रह पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पंतनगर ग्रीन फील्ड हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाए जाने के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण से विशेषज्ञ की सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएगी। जिला पिथौरागढ़ स्थित नैनीसैनी हवाई पट्टी का भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सर्वे कराएगा।



मुख्यमंत्री ने उड़ान योजना के तहत कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में रूट बदले जाने और प्वाइंट टू प्वाइंट करने का आग्रह किया जिस पर केंद्रीय मंत्री ने सहमति व्यक्त की। साथ ही केंद्रीय मंत्री ने राजकीय वायुयान बी-200 को किसी एनएसओपी सेवा प्रदाता को ड्राई लीज पर दिए जाने पर भी अपनी मंजूरी दी। 


स्वच्छ भारत मिशन 2.0 में केंद्रांश 90 प्रतिशत हो : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 में प्रस्तावित योजनाओं में केंद्रांश उत्तराखंड के लिए 90 प्रतिशत किए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से कहा कि उत्तराखंड के 15 गंगा तट के नगरों में से केवल हरिद्वार ही वर्तमान में अमृत योजना में शामिल है। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 में शेष 14 गंगा नगरों के लिए सेप्टेज प्रबंधन की योजनाओं की स्वीकृति 90 प्रतिशत केंद्रांश के साथ स्वीकृत की जाए।


उन्होंने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संबंधित योजना के लिए 35 प्रतिशत ही वायबिलिटी गैप फंडिंग केंद्रांश रूप में मंजूर हैं। राज्य की कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों को देखते हुए इसे 90 प्रतिशत करने पर विचार किया जाए। साथ ही एक लाख से कम जनसंख्या के नगरों के लिगेसी वेस्ट के प्रस्तावों को भी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 में मंजूर किया जाए।


उन्होंने कहा कि राज्य के शहरों में निर्माण व विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन के प्लांट स्थापित किए जाने आवश्यक हैं। पहले चरण में इन्हें राज्य के सभी जिला मुख्यालयों और नगर निगमों में स्थापित किए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन 2.0 अथवा केंद्र पोषित विशेष योजना के अंतर्गत धनराशि स्वीकृत करने का अनुरोध किया।

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