Kya Hota Hai Guru Chandal Yog - क्या होता है गुरु चांडाल योग?

Editorial Staff

Kya Hota Hai Guru Chandal Yog -  क्या होता है गुरु चांडाल योग?
Kya Hota Hai Guru Chandal Yog -  क्या होता है गुरु चांडाल योग


ज्योतिष के अनुसार कुंडली में ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण कई शुभ और अशुभ योग बनते हैं। इनमें से एक अशुभ योग है गुरु चांडाल योग। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है, उसके जीवन में उथल-पुथल बनी रहती है। ऐसा व्यक्ति जिंदगी में कभी स्थिर नहीं रह पाता है। लेकिन यदि आपकी कुंडली में यह योग है तो इससे घबराने की जरूरत नहीं। पहले जान लें कि यह योग क्या होता है और इसका असर क्या है…  

गुरु चांडाल योग कैसे बनता है?

कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु बैठा है तो इसे गुरु चांडाल योग कहते हैं। इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है। व्यक्ति बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं। मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, वृश्चिक, कुंभ व मीन राशि के लोगों पर गुरु-चांडाल योग का प्रभाव अधिक पड़ता है।


कुंडली के केंद्र के चांडाल योग का असर

यह योग जिस भी भाव या राशि में लगता है, तो वह उस स्थान के शुभ प्रभाव को तो समाप्त करता ही है, साथ ही जहां भी उसकी दृष्टि होती है उसके प्रभाव को भी समाप्त कर देता है।


1. यदि प्रथम भाव या लग्न में गुरु राहु की युति अर्थात चांडाल योग है, तो ऐसा जातक चरित्र का ढीला होता है। उस पर लांछन लगता है। उसका वाद-विवाद होता रहता है।

2. यदि चतुर्थ भाव में यह योग बन रहा है तो भूमि, भवन, परिवार, मित्र और जन्म स्थान का सुख नहीं मिल पाता है।

3. यदि सप्तम भाव में है तो व्यक्ति को पत्नी सुख नहीं मिलता है।

4. यदि दशम भाव में है तो व्यक्ति को नौकरी और व्यापार में असफलता ही हाथ लगती है।


Guru Chandal Yoga: अनिष्ट की आशंका पैदा करता है गुरु चांडाल योग

वैदिक ज्योतिष में कई तरह के शुभ-अशुभ योगों का जिक्र मिलता है। इनमें सबसे अधिक चर्चा होती है गुरु चांडाल योग की। जैसा कि नाम से ही जाहिर है इस योग के कुंडली में होने से व्यक्ति के जीवन में कई तरह की अनिष्टकारी घटनाएं होती रहती हैं। 

जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसका जीवन कभी स्थिर नहीं रहता। गुरु ज्ञान एवं बुद्धि के दाता हैं, वहीं राहु छाया ग्रह है। यह ग्रह कुंडली के जिस भाव में बैठता है उसका बुरा फल मिलता है। जन्म कुंडली में जब गुरु के साथ राहु एक ही स्थान में बैठ जाए तो इस युति को गुरु चांडाल योग कहते हैं। 

जब दोनों ग्रह कुंडली के अलग-अलग भाव में बैठकर एक-दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देखते हों तब भी गुरु चांडाल योग बनता है।

Kya Hota Hai Guru Chandal Yog -  क्या होता है गुरु चांडाल योग?
गुरु राहु का योग / स्रोत : 1India 


जीवन में हमेशा अस्थिरता बनी रहती है


चांडाल योग के कारण जातक के जीवन में हमेशा अस्थिरता बनी रहती है। उसका चरित्र भ्रष्ट हो जाता है और ऐसा व्यक्ति अनैतिक अथवा अवैध कार्यों में संलग्न हो जाता है। इस दोष के निर्माण में बृहस्पति को गुरु कहा गया है तथा राहु को चांडाल माना गया है। किसी कुंडली में राहु का गुरु के साथ संबंध जातक को बहुत अधिक भौतिकवादी बना देता है जिसके चलते वह जातक अपनी हर इच्छा को पूरा करने के लिए गलत कार्यों से धन अर्जित करने में भी परहेज नहीं करता। हालांकि ऐसे योग में यदि गुरु प्रबल हो तो जातक की किस्मत पलट भी सकती है। वह धनवान जरूर बनता है।

गुरु चांडाल योग

  • जन्म कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में गुरु और राहु एक साथ बैठकर गुरु चांडाल योग बना रहे हों तो व्यक्ति संदिग्ध चरित्र वाला होता है। ऐसा व्यक्ति न केवल अनैतिक संबंधों में रुचि लेता है बल्कि हर सच्चे-झूठे कार्य करके धन अर्जित करता है। ऐसा व्यक्ति धर्म को ज्यादा महत्व नहीं देता।
  • द्वितीय भाव धन स्थान में गुरु चांडाल योग बन रहा हो और गुरु बलवान हो तो व्यक्ति धनवान तो होता है, लेकिन यह पैसों का बुरी तरह अपव्यय करता है। यदि गुरु कमजोर हो तो जातक नशे का आदी होता है। ऐसे व्यक्ति की अपने परिवार से नहीं बनती है।
  • तृतीय भाव में गुरु व राहु के होने से जातक साहसी व पराक्रमी होता है। गुरु के बलवान होने पर जातक लेखन कार्य में प्रसिद्ध पाता है और राहु के बलवान होने पर व्यक्ति गलत कार्यों में कुख्यात हो जाता है। वह जुएं जैसे कार्यों में धन गंवाता है।
  • कुंडली के चौथे भाव में गुरु चांडाल योग बनने से व्यक्ति बुद्धिमान व समझदार होता है। लेकिन यदि गुरु कमजोर हो तो व्यक्ति पारिवारिक कार्यों में रुचि नहीं लेता। सुख शांति अभाव होता है और व्यक्ति मानसिक रूप से विचलित रहता है।

    संतान को कष्ट

    • यदि पंचम भाव में गुरु चांडाल योग बन रहा हो और बृहस्पति नीच का है तो संतान को कष्ट होता है। ऐसे व्यक्ति की संतानें पथभ्रष्ट होकर अनैतिक कार्यों में संलग्न हो जाती है। उनकी शिक्षा में रूकावटें आती हैं। राहु यदि गुरु से अधिक बलवान है तो व्यक्ति अस्थिर विचारों वाला होता है।
    • षष्ठम भाव में यह योग बन रहा हो और गुरु प्रबल हो तो व्यक्ति उत्तम स्वास्थ्य का मालिक होता है। छठा भाव स्वास्थ्य का स्थान होता है। यदि राहु बलवान है तो व्यक्ति कई तरह की शारीरिक परेशानियों से जूझता रहता है। उसे कमर के नीचे के रोग परेशान करते हैं।
    • सातवां भाव दांपत्य सुख का स्थान होता है। यदि इस भाव में गुरु चांडाल योग बना हुआ है और गुरु पर अन्य शत्रु ग्रहों की दृष्टि है तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन कष्टकर होता है। यदि इस योग में राहु बलवान है तो जीवनसाथी से तालमेल का अभाव रहता है।
    • यदि अष्टम भाव में गुरु चांडाल योग बन रहा हो और गुरु कमजोर है तो जीवनभर दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। बार-बार चोट लगती है और इलाज में खर्च अधिक होता है। राहु अत्यंत प्रबल हो तो ऐसा व्यक्ति आत्महत्या तक का कदम उठा सकता है।


    व्यक्ति नास्तिक किस्म का होता है

    • यदि नवम भाव में गुरु चांडाल योग बन रहा हो और गुरु कमजोर हो तो व्यक्ति नास्तिक किस्म का होता है। अपने माता-पिता से इसका विवाद बना रहता है। ऐसे व्यक्ति को सामाजिक जीवन में अपमानजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
    • दशम भाव कर्म स्थान होता है। यदि इस भाव में गुरु चांडाल योग बन रहा हो तो व्यक्ति में नैतिक साहस की कमी होती है और इसे पद, प्रतिष्ठा पाने में बाधाएं आती हैं। बिजनेस और जॉब में बार-बार बदलाव होता है। गुरु बलवान होने पर परेशानियों से कुछ हद तक राहत मिल जाती है।
    • एकादश भाव में गुरु चांडाल योग बने और राहु बलवान हो तो व्यक्ति गलत तरीके से धन अर्जित करता है। धन पाने के लिए ऐसा व्यक्ति कुछ भी करने के लिए तैयार रहता है। ऐसे व्यक्ति के मित्रों की संगत अच्छी नहीं रहती और खुद भी गलत कार्य करने लगता है।
    • द्वादश भाव में बनने वाला गुरु चांडाल योग व्यक्ति को धोखेबाज बनाता है। ऐसा व्यक्ति धर्म की आड़ में लोगों को धोखा देता है। खर्च करने की प्रवृत्ति अधिक रहती है। गुरु के बलवान होने पर व्यक्ति अति कंजूस प्रकृति का होता है।

चांडाल योग के 5 उपाय

 

1. माथे पर रोज केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं।

2. सुबह तालाब जाकर मछलियों को काला साबूत मूंग या उड़द खिलाएं।

3. प्रति गुरुवार को पूर्ण व्रत रखें। रात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

4. उत्तम चरित्र रखकर पीली वस्तुओं का दान करें और पीले वस्त्र ही पहनें।

5. गुरुवार को पड़ने वाले राहु के नक्षत्र में रात्रि में बृहस्पति और राहु के मंत्र का जाप करना चाहिए या शांति करवाएं। राहु के नक्षत्र हैं आर्द्रा, स्वाति और शतभिषा।


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