हड़ताल - फोटो : Demo Pic |
देहरादून में एलआईसी के विनिवेश के फैसले के विरोध समेत तीन सूत्री मांगों के समर्थन में बृहस्पतिवार को एलआईसी के अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। इसके चलते भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में जनता का कोई भी काम नहीं होगा।
बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 फीसदी करने, एलआईसी के आईपीओ जारी करने और वेतन समझौता लागू न करने से गुस्साए एलआईसी के अधिकारी-कर्मचारी लंबे समय से आंदोलनरत हैं। कर्मचारियों का कहना है कि देश के घरेलू बचत पर विदेशी कंपनियों को आमंत्रण करना देश की आर्थिक स्वतंत्रता को समाप्त करने जैसा है। कहा कि सरकार के एलआईसी में अपने हिस्से को बेचने वाले फैसले से करीब 40 करोड़ पॉलिसी धारकों को बड़ा नुकसान होगा।
सरकार की ओर से अपनी हिस्सेदारी बेचने के बाद एलआईसी सार्वजनिक कार्यों में आर्थिक मदद नहीं कर पाएगी। एलआईसी कर्मचारियों का कहना है कि बीते 44 महीने से वेतन समझौते को लागू नहीं किया गया है। इससे एलआईसी के अधिकारियों और कर्मचारियों में भारी आक्रोश है।
आईपीओ का विरोध कर रहे अधिकारी कर्मचारी
एलआईसी के अधिकारी-कर्मचारी आईपीओ का विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि आईपीओ आने के बाद पॉलिसीधारकों को 10 फीसदी स्टेक मिल सकता है। यानि एलआईसी में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी पॉलिसी धारकों के लिए रिजर्व रखी जाएगी।
वेतन समझौता करीब तीन साल से अधिक समय से देय है, लेकिन सरकार लागू नहीं कर रही है। सरकार हमारी मांगों को अनदेखा कर रही है। इसके विरोध में 18 मार्च को एलआईसी के अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल कर सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त करेंगे।
- नंद लाल शर्मा, महासचिव, इंश्यारेंस इंप्लॉइज एसोसिएशन
जनविरोधी नीतियों से सरकार विदेशी कंपनियों और पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है। इसके विरोध में एलआईसी के अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
- जयदीप सिंह बिष्ट, सचिव, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंश्योरेंस फील्ड वर्कर ऑफ इंडिया