अटल आयुष्मान योजना |
अटल आयुष्मान योजना के तहत अब लाभार्थियों का एक ही गोल्डन कार्ड बनाया जाएगा। इस संबंध में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को गोल्डन कार्ड पर अनिवार्य रूप से आयुष्मान का नाम लिखना होगा। इससे लाभार्थियों को जारी होने वाले गोल्डन कार्ड में एकरूपता रहेगी। साथ ही सूचीबद्ध अस्पतालों को भी अलग-अलग कार्डों से संशय की दिक्कत नहीं रहेगी।
अटल आयुष्मान योजना के तहत वर्तमान में लाभार्थियों के तीन तरह के गोल्डन कार्ड बनाए जा रहे हैं। उत्तराखंड में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 5.37 लाख परिवार शामिल हैं। प्रदेश सरकार ने आयुष्मान योजना का दायरा बढ़ाकर प्रदेश के 23 लाख से अधिक राशन कार्ड धारकों को भी शामिल किया है।
वहीं, कर्मचारियों, पेंशनरों के लिए कैशलेस इलाज के लिए राज्य स्वास्थ्य स्कीम शुरू की है। ये तीनों आयुष्मान योजना में शामिल है, लेकिन लाभार्थियों के अलग-अलग गोल्डन कार्ड बनाए जा रहे हैं। कर्मचारियों व पेंशनरों के गोल्डन कार्ड में राज्य स्वास्थ्य योजना का लोगों लगाया जा रहा है। इससे लाभार्थियों को योजना के तहत इलाज कराने में दिक्कतें आ रही है।
आयुष्मान योजना के तहत चलाई जा रही है अलग-अलग स्कीम
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को जारी दिशानिर्देश के अनुसार प्रदेश सरकारों की ओर से आयुष्मान योजना के तहत अलग-अलग स्कीम चलाई जा रही है। जिससे गोल्डन कार्ड में एकरूपता न होने से सूचीबद्ध अस्पतालों के सामने कार्ड लेकर संशय है। केंद्र ने आयुष्मान योजना के लाभार्थियों को एक ही तरह के गोल्डन कार्ड बनाने को कहा है। जिसमें आयुष्मान कार्ड अनिवार्य रूप से लिखा जाए।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया का कहना है कि अटल आयुष्मान योजना के तहत अभी तक अलग-अलग लोगों के गोल्डन कार्ड बनाए जा रहे हैं। केंद्र ने सभी लाभार्थियों को जार होने वाले कार्ड पर अनिवार्य रूप से आयुष्मान कार्ड लिखने को कहा है।
उत्तराखंड समेत अन्य कई राज्यों में आयुष्मान योजना को अलग-अलग नाम दिया गया है। आयुष्मान कार्ड लिखने से गोल्डन कार्ड में एकरूपता आएगी। इससे लाभार्थियों का इलाज कराने में सूचीबद्ध अस्पतालों को किसी तरह कोई आपत्ति नहीं रहेगी।