फोटो : प्रतीकात्मक तस्वीर |
उत्तराखंड में वन भूमि पर मिलने वाली लीज में अब सर्किल रेट को भी देखा जाएगा। नए सर्किल रेट पर वन भूमि की लीज का नवीनीकरण किया जाएगा। बृहस्पतिवार को हुई कैबिनेट बैठक में लीज निर्धारण नीति के कई बिंदुओं में संशोधन पर मुहर लगा दी गई।
संशोधित नीति के तहत पेजयल, सिंचाई, गूल, घराट, पंचायत घर, रास्ता एवं स्कूल जैसे सामुदायिक एवं जनोपयोगी प्रयोजनों हेतु सरकारी संस्थाओं को दी गई लीजों का नवीनीकरण निशुल्क होगा जबकि गैर सरकारी या निजी संस्थाओं के लिए एक रुपये वार्षिक लीज रेंट दर तय की गई है।
सरकारी संस्थाओं जैसे कृषि, उद्यान, पशुपालन विभागों को दी गई वन भूमि की लीज का नवीनीकरण निशुल्क होगा। गैर सरकारी या निजी संस्थाओं को एक हेक्टेयर तक लैंड होल्डिंग के लिए एक रुपये प्रति नाली की दर से वार्षिक लीज रेंट देना होगा। घर, छप्पर, झोपड़ी, गोशाला के लिए लीज के नियम भी बदले गए हैं।
मंदिर, आश्रम, धर्मशाला और कुटिया के लिए लीज पर दी जाने वाली वन भूमि के लिए उच्च स्तरीय समिति ने तीन श्रेणियों में वर्गीकरण किया है। किसी भी धर्मग्रंथ में वर्णित स्थल या पुरातात्विक प्रमाणों से प्रमाणित स्थल को संरक्षित एवं विकसित करने का काम राज्य सरकार करेगी।
लीजधारकों की ओर से लीज का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा
ऐसे मामलों में लीज का नवीनीकरण निशुल्क किया जाएगा। दूसरा जिन लीजधारकों की ओर से लीज का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है, उनसे जिलाधिकारी द्वारा सूचित वर्तमान बाजार दर की लीज अवधि के आधार पर लीज रेंट का निर्धारण किया जाएगा।
लीज पर दी गई ऐसी वन भूमि, जिसके लीजधारकों द्वारा वन भूमि का खुद उपयोग न करके किसी अन्य व्यक्ति को विक्रय कर दिया गया है, उनकी लीज का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। ऐसे कब्जों को खाली कराकर संबंधितों के खिलाफ वन अधिनियम 1927, वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत आपराधिक मामले पंजीकृत किए जाएंगे।
लीज निर्धारण करते समय भूमि का मूल्य अगर एकमुश्त लिया गया है तो नवीनीकरण के समय उस वक्त के सर्किल रेट को देखते हुए प्रीमियम का निर्धारण कर पूर्व में दिए गए प्रीमियम को समायोजित करते हुए, अगर कोई बकाया राशि बनती है तो उसे प्राप्त करने के बाद लीज का नवीनीकरण किया जाएगा।