आपदा की सूचना मिलने के बाद आईटीबीपी, बीआरओ, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को बचाव कार्य में लगाया गया है। एनडीआरएफ की चार टीमें (करीब 200 कर्मी) दिल्ली से एयरलिफ्ट करके देहरादून भेजी गईं, जिन्हें वहां से जोशीमठ भेजा गया। बताया जाता है कि पानी का बहाव इतना तेज था कि ऋषिगंगा और धौलीगंगा के किनारे बसे कई गांव भी तबाह हो गए। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून समेत कई जिलों में हाई अलर्ट कर दिया गया है। वहीं, नदी का जल स्तर बढ़ने से निचले क्षेत्रों में लोगों में खलबली मची रही।
जोशीमठ, पीपलकोटी, चमोली, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग के साथ ही रुद्रप्रयाग क्षेत्र में पुलिस ने लाउडस्पीकर से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा। स्थानीय प्रशासन ने ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा किनारे के लोगों को अलर्ट करते हुए राफ्टिंग समेत सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह ने भी उत्तराखंड की आपदा पर चिंता जताते हुए प्रदेश सरकार को हर तरह की मदद का भरोसा दिलाया।
करीब 13 मेगावाट की एक परियोजना में 35-36 लोग काम करते थे। इसी परियोजना से पांच किलोमीटर की दूरी पर निर्माणाधीन एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना में करीब 176 श्रमिक कार्यरत थे, उनका रिकॉर्ड गायब हो गया है। मुख्यमंत्री के मुताबिक बचाव एवं राहत कार्य तुरंत शुरू कर दिया गया था। उन्होंने खुद हवाई सर्वे किया और इसके बाद गाड़ी से रेणी गांव तक पहुंचे। देर शाम तक पानी का बहाव श्रीनगर आते-आते धीमा हो गया था और इससे आगे किसी खतरे की आशंका नहीं जताई जा रही है। करीब 40 लोगों को बचा भी लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस समय सरकार का पूरा ध्यान राहत और बचाव पर है। देर शाम तक धौली गंगा पर रैणी गांव को अन्य से जोड़ने वाला 90 स्पान का मोटर पुल और चार अन्य झूला पुलों के बहने की जानकारी है। धौली गंगा के एक किनारे पर करीब 17 गांव हैं, जो सड़क न होने के कारण संपर्क से कट गए हैं। इनमें से 11 गांव माइग्रेटरी हैं और सर्दियों में इन गांवों के लोग गोपेश्वर आ जाते हैं।
जिला चमोली के जोशीमठ-तपोवन में धौलीगंगा में ग्लेशियर टूटने के बाद बढ़े पानी के सैलाब के कारण रुद्रप्रयाग में अलकनंदा का जल स्तर एक मीटर बढ़ा है। जल स्तर अधिक बढ़ने की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने जिले में अलर्ट जारी कर दिया है। बेलणी में नदी किनारे वाले आवासीय मकानों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है। साथ ही कोटेश्वर मंदिर को सुरक्षा की दृष्टि से खाली करा दिया गया है।
इसके अलावा यहां दर्शनों को पहुंचे श्रद्धालुओं को भी वापस भेज दिया गया है। कहा कि स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है। जिलाधिकारी के निर्देश पर प्रशासन व पुलिस द्वारा नगर क्षेत्र में सभी लोगों से सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने की अपील की गई। अलकनंदा नदी किनारे स्थित कोटेश्वर मंदिर समेत अन्य स्थानों पर सुरक्षा को लेकर चौकसी बढ़ा दी गई है। जिलाधिकारी मनुज गोयल ने बताया कि अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इंसीडेंट रिस्पांस टीम को सतर्क रहने को कहा गया है।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि रविवार को सुबह आठ अलकनंदा नदी का जल स्तर 618.33 मीटर था। जबकि शाम पांच बजे जल स्तर पर में एक मीटर की वृद्धि हुई है, जो 619.36 मीटर पर है। बताया कि नदी के जल स्तर पर नजर रखी जा रही है।
लक्सर क्षेत्र में गंगा के किनारे फसल की रखवाली कर रहे करीब 500 किसानों को हटाकर गांव जाने के निर्देश दिए। वहीं, यूपी के रामसहायवाला गांव के लोगों को बालावाली इंटर कॉलेज में पहुंचा दिया गया। नदियों के किनारे बसे अन्य गांवों के ग्रामीणों ने सामान के साथ आसपास के गांवों में शरण ले ली।
मुख्यमंत्री ने बताया कि दोनों जल विद्युत परियोजनाओं की दो सुरंगे हैं। एक सुरंग करीब 150 मीटर की है और दूसरी करीब 250 मीटर की है। एक सुरंग में करीब 15 लोगों और दूसरी सुरंग में करीब 35 लोगों के फंसे होने का अनुमान है। 250 मीटर वाली सुरंग को देर शाम तक आईटीबीपी ने करीब 150 मीटर खोद लिया था। यहां मशीन न पहुंच पाने के कारण काम धीमी गति से हो रहा है।
सेना के कर्नल एस शंकर के मुताबिक, जोशीमठ से सेना के 40 जवानों का एक दल तपोवन पहुंच गया है। एक दल जोशीमठ में है। दो सैन्य दल औली से जोशीमठ के लिए रिलीफ ऑपरेशन के लिए आ चुके हैं। रुद्रप्रयाग में दो सैन्य दल तैयार रखे गए है। एक इंजीनियरिंग टास्क फोर्स जोशीमठ से तपोवन पहुंच गया है। दो मेडिकल आफिसर एवं दो एंबुलेंस तपोवन पहुंच चुके हैं। आर्मी का हेलीपैड सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के लिए चालू है। कम्यूनिकेशन के लिए सिविल लाइन चालू है। बरेली से दो हेलीकॉप्टर भी जोशीमठ पहुंच गए हैं।
उत्तराखंड के लोग साहसी, किसी भी आपदा को मात दे सकते हैं : पीएम मोदी
चमोली जिले के रैणी गांव से ऊपर ग्लेशियर फटने से आई बाढ़ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात की। उस समय वह पश्चिमी बंगाल में चुनावी जनसभा में थे। जनसभा में ही उन्होंने उत्तराखंड में आई आपदा का जिक्र किया। कहा कि उत्तराखंड के लोग साहसी हैं और वे किसी भी आपदा को मात दे सकते हैं।
बाढ़ की घटना के बाद देहरादून से लेकर दिल्ली तक सब अलर्ट हो गए। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि घटना पर बराबर नजर लगाए हुए हैं। भारत देश उत्तराखंड के साथ खड़ा है, राष्ट्र सबकी सुरक्षा की प्रार्थना करता है। वह वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में हैं। एनडीआरएफ ने बचाव एवं राहत कार्य शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने सारे कार्यक्रम रद कर चमोली जिले के लिए रवाना हो गए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनसे बात की और पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया।
पश्चिम बंगाल में एक जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उत्तराखंड इस समय आपदा का सामना कर रहा है। एक ग्लेशियर टूटने की वजह से वहां नदी का जलस्तर बढ़ गया। नुकसान की खबरें धीरे-धीरे आ रही हैं। मैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, एनडीआरएफ के अफसरों से निरंतर संपर्क में हूं। वहां राहत व बचाव का कार्य पुरजोर करने का प्रयास चल रहा है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। मेडिकल सुविधाओं में कोई कमी न हो, इस पर जोर दिया जा रहा है। वहां दो एक दिन पहले ही काफी बर्फबारी भी हुई थी। मौसम काफी ठंडा है। लोगों की परेशानी कम से कम करने के लिए सरकार पूरा प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में ऐसे परिवार मुश्किल से मिलते हैं, जिनका कोई सदस्य फौज में न हो। वहां के लोगों का हौसला किसी भी आपदा को मात दे सकता है। उत्तराखंड के साहसिक लोगों के लिए मैं प्रार्थना कर रहा हूं, बंगाल प्रार्थना कर रहा है, देश प्रार्थना कर रहा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीन घंटे के अंतराल में दो ट्विट कर कहा कि हमारा ध्यान सुरंगों में फंसे श्रमिकों को बचाने पर है और हम सभी प्रयास कर रहे हैं। किसी भी समस्या से निपटने के लिए सभी जरूरी प्रयास कर लिए गए हैं। जबकि, दिनभर फेसबुक और इंस्टाग्राम स्टोरी पर आम से लेकर खास लोग तूफान के वीडियो और फोटो शेयर करते रहे। इससे पहले साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा के दौरान भी उत्तराखंड सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा था।
देर रात तक ऋषिकेश नहीं पहुंचा बाढ़ का पानी, प्रशासन अलर्ट
ग्लेशियर टूटने से तपोवन स्थित ऋषि गंगा बांध के क्षतिग्रस्त होने से गंगा नदी में बाढ़ के हालात उत्पन्न होने के अंदेशे के मद्देनजर ऋषिकेश में खबर मिलते ही प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया। हालांकि देर रात तक पानी ऋषिकेश नहीं पहुंचा था। खबर लिख जाने तक ऋषिकेश में केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक गंगा का जलस्तर 336.91 मीटर पर था। जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव, एसपी देहात स्वतंत्र कुमार सिंह, टिहरी की एसएसपी तृप्ति भट्ट के साथ तमाम अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया।
प्रशासनिक अमले के साथ साथ नगर निगम मेयर अनिता ममगाई ने भी मोर्चा संभाला। मेयर ने त्रिवेणी घाट सहित गंगा तटों पर बसी बस्तियों में जाकर वहां रह रहे लोगों से जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर चले जाने की अपील की। बाढ़ की आशंका के मद्देनजर जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव और उधर, टिहरी की एसएसपी तृप्ति भट्ट ने खुद मोर्चा संभाला। जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव सबसे पहले त्रिवेणीघाट पहुंचे, जहां उन्होंने व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
केदारनाथ आपदा से सबक लेते हुए प्रशासन ने अग्रिम आदेश तक ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग को ऋषिकेश के समीप मुनिकीरेती में सभी वाहनों के लिए बंद करा दिया गया है। जोशीमठ क्षेत्र में मची तबाही का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया में वायरल हुआ, वैसे ही तीर्थनगरी के लक्ष्मणझूला, तपोवन, मुनिकीरेती आदि जगहों पर होटलों में ठहरे पर्यटकों में खलबली मच गई। वीडियो देखते ही पर्यटकों को जून 2013 की केदारनाथ आपदा का मंजर याद आने लगा। डरे सहमे पर्यटक होटलों से चेकआउट कर अपने घरों की ओर रवाना होने लगे। इस दौरान लक्ष्मणझूला रोड जाम से पैक हो गया। वाहनों की लंबी लाइन लग गई।
चमोली में हुई घटना के बाद रविवार को यहां प्रशासन ने बाह बाजार और रामकुंड में लोगों की आवाजाही बंद कर दी गई। इसके साथ ही ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद कर ट्रैफिक को देवप्रयाग-चाका-गजा मोटर मार्ग पर डायवर्ट किया गया। थाना प्रभारी महिपाल सिंह रावत ने बताया कि स्थिति से निपटने के लिए नगर के विभिन्न स्थानों पर पुलिस और आपदा प्रबंधन की टीम तैनात कर दी गई है।
रविवार को सुबह जैसे ही ऋषिगंगा में ग्लेशियर टूटने के बाद ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट बहने की सूचना आई तो अंदाजा लग गया कि आपदा में पानी और मलबे का बहाव तेज है। इस बहाव को नियंत्रित करना सबसे जरूरी था, अन्यथा बाढ़ का असर ऋषिकेश व हरिद्वार तक हो सकता था। लिहाजा, श्रीनगर जीवीके जल विद्युत परियोजना की पूरी टीम बचाव कार्यों में जुट गई।
तुरंत इस परियोजना की झील में पानी का स्तर कम करने के लिए पानी को आगे के लिए छोड़ दिया गया, ताकि पीछे से आने वाले पानी को यहां रोक कर उसकी गति को नियंत्रित किया जा सके। करीब साढ़े चार घंटे के बाद श्रीनगर बांध की झील में पानी का तेज बहाव पहुंच गया। लेकिन यहां पहले से ही झील में जगह होने की वजह से स्थिति नियंत्रण में आ गई। एक बांध के टूटने से पानी का जो वेग बना था, उसके कदम श्रीनगर बांध की वजह से रुक गए।
इन्हें पहुंचा नुकसान
आपदा में चमोली के पीपल कोटी पावर प्रोजेक्ट, एनटीपीसी के ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और तपोवन हाईड्रो प्रोजेक्ट को काफी नुकसान पहुंचा है। धौलीगंगा पावर प्रोजेक्ट को भी नुकसान की खबर है। चमोली जिले में विष्णुगाड़ पीपलकोटी हाईड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट अलकनंदा नदी पर है। इस प्रोजेक्ट के लिए डायवर्जन डैम बनाए जा रहे थे, जिसकी ऊंचाई 65-70 मीटर तक होती है।
बांध की मदद से जो रिजवाइर तैयार किए जा रहे थे, उनमें पानी की स्टोरेज क्षमता 3.63 मिलियन क्यूबिक मीटर है। इस प्रोजेक्ट के दिसंबर 2023 तक शुरू होने की उम्मीद थी। यह प्रोजेक्ट 400 मेगावाट का है। ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को भी काफी नुकसान पहुंचा है। ऋषिगंगा नदी अलकनंदा नदी की सहायक है। यह अपने भीतर 236 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी समेटता है। इस प्रोजेक्ट की क्षमता 35 मेगावाट है।
कंपनी के खिलाफ रैणी गांव के लोगों ने दायर की थी जनहित याचिका
चमोली जिले के जिस रैणी गांव में रविवार को ग्लेशियर फटा, वहां पावर प्रोजेक्ट बनाने के विरोध में दो साल पहले कुछ ग्रामीणों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की थी, जो विचाराधीन है। जानकारी के मुताबिक रैणी गांव के कुंदन सिंह और अन्य ने वर्ष 2019 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। ग्रामीणों का आरोप था कि ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के बहाने गांव व आसपास के क्षेत्रों में अवैध खनन हो रहा है और अवैध खनन से निकले मलबे का नियमानुसार निस्तारण नहीं हो रहा है। इससे समूचे क्षेत्र में पर्यावरणीय नुकसान से बड़ा खतरा पैदा हो गया है। ग्रामीणों ने याचिका के साथ कुछ फोटो और वीडियो भी हाईकोर्ट में दाखिल किए थे।
जिसके बाद तत्काल एसडीआरएफ की सभी टीमों को अलर्ट कर दिया था। इसके बाद तत्काल दो टीमों को 11 बजे रैणी गांव के लिए रवाना कर दिया गया साथ ही सेनानायक नवनीत भुल्लर ने गौचर, श्रीनगर, रतूडा में तैनात एसडीआरएफ की टीम को अलर्ट पर रहने के आदेश दिए। साढ़े ग्यारह बजे रैणी गांव में रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया गया।
जैसे-जैसे ग्लेशियर का पानी आगे बढ़ता गया सभी टीमें सक्रिय हो गई और लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा गया। करीब साढ़े बारह बजे श्रीगनगर की टीम को भी अलर्ट कर दिया गया। साथ ही दो टीमों को तपोवन, दो को जोशीमठ, एक टीम को श्रीनगर, एक कीर्तिनगर, एक टीम ऋषिकेश में तैनात किया गया। करीब चार बजे सेनानायक नवनीत भुल्लर भी रैणी गांव पहुंच गए थे।
एसडीआरएफ और पुलिस मुख्यालय दून से रखे हुए थे कड़ी नजर
रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने की सूचना पर एसडीआरएफ और पुलिस मुख्यालय अलर्ट मूड़ में आ गए। एसडीआरएफ मुख्यालय से सेनानायक नवनीत भुल्लर पहले तो मुख्यालय से ही स्थिति पर नजर रखे हुए थे, लेकिन स्थिति की नजाकत को देखते हुए एक बजे के करीब वह स्वयं हेलीकॉप्टर से जोशीमठ पहुंच गए रेस्क्यू अभियान की कमान संभाली। डीजीपी अशोक कुमार कुमाऊं दौरे पर हैं, वह वहीं से स्थिति पर पल-पल नजर रखे हुए हैं और मौके पर मौजूद अधिकारियों को दिशा निर्देश देते रहे।