chamoli disaster |
ऋषिगंगा में जल प्रलय के बाद तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे तीन इंजीनियरों समेत 35 कर्मचारियों तक पहुंचने में सुरंग के जरिए भारी मात्रा में आ रहा मलबा बचाव दल के समक्ष बड़ी बाधा बनकर सामने आया है।
100 मीटर के आगे खोदाई के बाद बचाव दल को उम्मीद बंध गई थी कि वे फंसे लोगों तक जल्द पहुंच जाएंगे। बचाव कार्यों की मॉनीटरिंग कर रहे गढ़वाल के आयुक्त रविनाथ रामन ने जानकारी दी कि सुरंग में 100 मीटर के पास जितना मलबा निकाला जा रहा है, दोबारा उतना ही मलबा इकट्ठा हो जा रहा है। इसलिए उससे आगे बढ़ना मुमकिन नहीं हो पा रहा है।
बुधवार को एक अज्ञात का शव श्रीनगर और एक रुद्र प्रयाग से मिला। इसको लेकर आपदा के बाद मिले शवों की संख्या 33 हो गई है। लापता बताए लोगों में से एक सहारनपुर और दूसरा चमोली में मिला। लापता लोगों की कुल संख्या 170 रह गई है। दूसरी ओर हेलीकॉप्टर से लगातार नीती घाटी के गांवों में राहत सामग्री वितरित की जा रही हैं।
ऋषि गंगा की जल प्रलय के बाद उपजे हालात से पूरी मशीनरी जूझ रही है। तपोवन परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग से मलबा हटाने का काम रात-दिन जारी है। बताया जा रहा है कि तीन किलोमीटर लंबी सुरंग के 180 मीटर पर एक मोड़ है। इसी मोड़ पर लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है।
पहले दावा किया गया था कि आईटीबीबी का बचाव दल मलबा हटाते हुए 150 मीटर तक पहुंच गया है। लेकिन रात लगभग नौ बजे गढ़वाल आयुक्त ने लगभग सौ मीटर तक ही सुरंग का मलबा साफ करने की जानकारी दी। मंगलवार रात को सुरंग में फंसे लोगों का पता लगाने के लिए ड्रोन की मदद ली गई थी, लेकिन मलबा अधिक होने के कारण ड्रोन अधिक दूरी तक नहीं जा सका। वहीं आपदा क्षेत्र से बहकर रुद्रप्रयाग पहुंचे शव की शिनाख्त सूरज पुत्र बेेचू लाल, निवासी- बाबूपुर, जिला- लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश के रूप में हुई है।
प्रियंका गांधी पहुंची दून, आपदा पर दुख जताया
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा बुधवार सुबह 10:30 पर अचानक ही दून पहुंच गईं। जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर प्रियंका का कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने स्वागत किया। प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि वह किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए सहारनपुर रवाना हो गईं। प्रियंका गांधी वाड्रा ने चमोली आपदा पर दुख प्रकट करते हुए मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
एक माह का वेतन आपदा राहत कोष में देंगे बंशीधर भगत
आपदा प्रभावित तपोवन और रैणी क्षेत्र में पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना जताई। साथ ही अपने एक माह का वेतन आपदा राहत कोष में देने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार तत्परता के साथ राहत और बचाव कार्यों में जुटी है।
जल प्रलय के बाद उपजे हालात से जूझ रही पूरी मशीनरी
ऋषि गंगा की जल प्रलय के बाद उपजे हालात से पूरी मशीनरी जूझ रही है। तपोवन परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग से मलबा हटाने का काम रात-दिन जारी है। बताया जा रहा है कि तीन किलोमीटर लंबी सुरंग के 180 मीटर पर एक मोड़ है।
इसी मोड़ पर लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। आईटीबीपी का बचाव दल मलबा हटाते हुए 150 मीटर तक पहुंच गया है। मंगलवार रात को सुरंग में फंसे लोगों का पता लगाने के लिए ड्रोन की मदद ली गई, लेकिन मलबा अधिक होने के कारण ड्रोन अधिक दूरी तक नहीं जा सका।
वहीं आपदा क्षेत्र से बहकर रुद्रप्रयाग पहुंचे शव की शिनाख्त सूरज पुत्र बेेचू लाल, निवासी- बाबूपुर, जिला- लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश के रुप में हुई है।
लापता लोगों की तलाश के लिए नेवी कमांडो भी पहुंचे
ऋषि गंगा जलप्रलय में लापता हुए लोगों की तलाश के लिए श्रीनगर जल विद्युत परियोजना झील में नौसेना के गोताखोर भी उतर गए हैं। जिला आपदा प्रबंधन विभाग का ड्रोन कैमरा और एसडीआरएफ के तैराक पहले से ही यहां खोज अभियान में जुटे हुए हैं। अलकनंदा नदी/झील में गाद की भारी मात्रा देख अब प्रशासन लापता लोगों की तलाश के लिए सोनार (साउंड नेवीगेशन एंड रेंगिंग) तकनीकी की मदद ले रहा है।
बुधवार सुबह तपोवन से हेलीकॉप्टर नौ सेना के 8 सदस्यीय दल को लेकर जीवके हेलीपैड कोटेश्वर में उतरा। दोपहर बाद टीम ने श्रीनगर जल विद्युत परियोजना झील में बैराज के निकट जमा मलबे में तलाश की। लेकिन वहां कुछ नहीं मिला। वहीं एसडीआरएफ की टीम ने मोटर वोट और आपदा प्रबंधन विभाग ने ड्रोन की मदद से लापता लोगों की तलाश की। उन्हे भी सफलता नहीं मिली।
गांवों में पसरा सन्नाटा, अपनों की खोज में जुटे लोग
चमोली जिले के तपोवन रैणी क्षेत्र में सैलाब आकर चला गया और तबाही के निशा छोड़ गया। क्षेत्र में लोग आपदा में लापता हुए अपनों की तलाश रहे हैं। गांवों में सन्नाटा पसरा है। हेलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट के बीच मलबे में दबे अपनों के सकुशल होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
मौसम ने बढ़ा दी धड़कनें
बुधवार को नीती घाटी में दोपहर बाद अचानक मौसम ने करवट बदली। तपोवन, रैणी क्षेत्र में बूंदाबांदी होने के साथ ही ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी देर शाम तक भी होती रही। हालांकि निचले क्षेत्रों में शाम तक मौसम साफ हो गया था। वहीं, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी होने से लोगों में फिर से भय का माहौल बन गया है।
टूटने लगा परिजनों के सब्र का बांध, एनटीपीसी के खिलाफ प्रदर्शन
तपोवन। ऋषिगंगा जल प्रलय में लापता हुए अपनों की तलाश में तपोवन औैर रैणी पहुंचे लोगों सब्र का बांध टूटने लगा है। तीन दिनों से अपने परिजनों की कोई सुराग न मिलने पर बुधवार को तपोवन मेें कुछ लोगों ने नाराजगी जताकर एनटीपीसी के खिलाफ नारेबाजी की।
उन्होंने प्रशासन से राहत-बचाव कार्य में तेजी लाने की मांग उठाई है। बीते रविवार से लापता लोगों के परिजन तपोवन में जमे हुए हैं। परियोजना की सुरंग से करीब 500 मीटर दूर बैठे लोग सुरंग के बाहर और अंदर मुस्तैद रेस्क्यू टीमों को बढ़ी उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। बुधवार दोपहर बारह बजे तक सुरंग में फंसे लोगों का सुराग न मिलने और किसी को भी रेस्क्यू नहीं किए जाने पर उनका गुस्सा फूट पड़ा।
अलकनंदा नदी किनारे लापता की खोज में जुटे जवान
एसडीआरएफ और पुलिस के जवान तपोवन रैणी आपदा में लापता हुए लोगों की खोज में जुटे रहे। जवानों ने अलकनंदा नदी किनारे गौचर और कर्णप्रयाग के बीच दिनभर खोज जारी रखी। वहीं आपदा के चार दिन बाद भी पूरे क्षेत्र में लोग खौफजदा हैं। अलकनंदा नदी में अभी भी मटमैला पानी बह रहा है। नदी के किनारे मलबा, कीचड़ व लकड़ियों के ढेर लगे हैं। नदी के किनारे मछलियां सड़ रही हैं।
रैणी में बह गए पुल की जगह स्थापित होगा वैली ब्रिज
मलारी हाईवे पर रैणी के पास पुल बहने के बाद अब सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने यहां वैली ब्रिज स्थापित करने के लिए ऋषि गंगा के दोनों ओर मलबा हटाने का कार्य शुरू कर दिया है। बीआरओ के अधिकारी और मजदूर यहां हाईवे को बहाल करने में जुटे हुए हैं। मलारी हाईवे पर पुल बह जाने से चीन सीमा क्षेत्र के 13 गांवों के साथ ही सीमा क्षेत्र में सेना की आवाजाही ठप पड़ गई है। जिससे यहां तत्काल पुल की आवश्यकता है।
बीआरओ के कमांडर कर्नल मनीष कपिल का कहना है कि हाईवे खोलने में 200 मजदूर और आठ मशीनें कार्य कर रही हैं। जल्द हाईवे खोला जाएगा और फिर वैली ब्रिज बनाया जाएगा। जिसके बाद यहां यातायात सुचारू कर दिया जागा।
चमोली जिले में जख्म दे रहीं आपदाएं
चमोली जिले में 2019 से अब तक 10 प्राकृतिक आपदाएं आ चुकी हैं। वर्ष 2019 में 8 अगस्त को फल्दियागांव में बादल फटने से मां-बेटी मलबे में दफन हो गई थीं। 12 अगस्त को घाट के लांखी बांजबगड़ व आंली क्षेत्र में बादल फटने से मां-बेटी समेत 6 लोगों की मलबे में दबने से मौत हो गई थी। 7 सितंबर को थराली के गुड़म गांव के जंगलों में बादल फटने से गांवों में मलबा घुसा था। 7 सात सितंबर को ही गोविंदघाट में बादल फटने से पार्किंग में खड़े 40 वाहन दब गए थे। 8 सितंबर को घाट के धुर्मा गांव में बादल फटा था और दो मकान बह गए थे। लामबगड़, पत्थरकटा में भी बादल फटे थे, जबकि इस साल रविवार को ग्लेशियर फटने से भारी तबाही हुई है।
यूपी के तीन मंत्रियों ने हरिद्वार में डाला डेरा
चमोली जिले की ऋषिगंगा और धौलीगंगा में आई आपदा में उत्तर प्रदेश के भी कई लोग लापता हैं। लापता लोगों के लिए चलाए जा रहे बचाव एवं राहत कार्य पर नजर रखने के लिए यूपी सरकार ने अपने तीन मंत्रियों को यहां भेजा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के बाद तीनों मंत्री हरिद्वार में हैं। लापता लोगों के परिजनों को जानकारी देने के लिए यहां कंट्रोल रूम खोला गया है।
गन्ना मंत्री सुरेश राणा, बाढ़ एवं राजस्व मंत्री विजय कश्यप और आयुष मंत्री धर्मसिंह सैनी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के जो लोग त्रासदी में लापता हुए हैं। उनके बारे में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की। इसके साथ ही हरसंभव मदद देने का आश्वासन भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से उत्तराखंड सरकार को दिया है।
यह है कंट्रोल रूम के नंबर
- 7351508180
- 9389793202
टोल फ्री नंबर- 1070