रैणी गांव में आपदा से पहले और अब की तस्वीर |
रैणी गांव में आपदा से पहले और अब की तस्वीर |
रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने की सूचना पर तत्काल एसडीआरएफ अलर्ट हो गई थी। ऋषिकेश से लेकर जोशीमठ तक एसडीआरएफ की सभी टीमों को अलर्ट कर दिया गया।एसडीआरएफ के मुताबिक सुबह करीब 10.55 मिनट पर जोशीमठ पोस्ट में तैनात हेड कांस्टेबल मंगल सिंह को जोशीमठ थाने से रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने की सूचना मिली थी।
रैणी गांव में आपदा से पहले और अब की तस्वीर |
जैसे-जैसे ग्लेशियर का पानी आगे बढ़ता गया सभी टीमें सक्रिय हो गई और लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा गया। करीब साढ़े बारह बजे श्री नगर की टीम को भी अलर्ट कर दिया गया। साथ ही दो टीमों को तपोवन, दो को जोशीमठ, एक टीम को श्रीनगर, एक कीर्तिनगर, एक टीम ऋषिकेश में तैनात किया गया।
रैणी गांव में आपदा से पहले और अब की तस्वीर |
देर शाम तक धौली गंगा पर रैणी गांव को अन्य जगहों से जोड़ने वाला 90 स्पान का मोटर पुल और चार अन्य झूला पुलों के बहने की जानकारी है। धौली गंगा के एक किनारे पर करीब 17 गांव हैं, जो सड़क न होने के कारण संपर्क से कट गए हैं। इनमें से 11 गांव माइग्रेटरी हैं और सर्दियों में इन गांवों के लोग गोपेश्वर आ जाते हैं।
आपदा के बाद रैणी गांव |
ऋषिगंगा पर रैणी में हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण वर्ष 2008 में शुरू हुआ था। तय समय के भीतर प्रोजेक्ट तैयार भी हो गया था। वर्ष 2011 में इस प्रोजेक्ट से बिजली का उत्पादन शुरू हो गया था। वर्ष 2016 तक अनवरत उत्पादन भी हुआ। 2016 में इसकी मशीनों में बड़े स्तर पर खराबी आ गई, जिस वजह से बिजली का उत्पादन ठप हो गया।
चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद धौली नदी में मलबा |
इसके बाद वर्ष 2018 में दूसरी कंपनी कुंदन ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट को खरीद लिया। उस कंपनी ने पूरी लगन के साथ मशीनें तैयार कीं। जून 2020 से यहां टरबाइन चल पड़ी और बिजली का उत्पादन शुरू हो गया, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। रविवार को आई आपदा में यह प्रोजेक्ट तबाह हो गया है।
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