रुपये(प्रतीकात्मक तस्वीर) |
चुनावी वर्ष में ग्राम प्रहरियों के रूप में दस हजार युवाओं को रोजगार देने के मोर्चे पर प्रदेश सरकार को राहत मिल गई है। नेशनल कैंपा एडवाइजरी कमेटी की बैठक में इस योजना पर आपत्ति लगा दी गई थी। अब कमेटी ने इस योजना के तहत कैंपा से 40 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे दी है।
चुनावी वर्ष में सरकार ने वनाग्नि, फसल सुरक्षा और बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए कैंपा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में दस हजार युवाओं को मानदेय पर तैनात करने की घोषणा की थी। खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी घोषणा की थी। कैंपा के तहत इसका प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा गया था।
वन मंत्री हरक सिंह का दावा था कि कैंपा से इस योजना को अनुमति मिल जाएगी। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से संशोधित प्रस्ताव के तहत इस योजना के लिए 40 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी गई है।
एडवाइजरी कमेटी की बैठक में लगा था झटका
दिल्ली में हुई नेशनल एडवाइजरी कमेटी की बैठक में सरकार को इस मामले में खासा झटका लगा था। कमेटी ने कैंपा के पैसे से रोजगार देने पर आपत्ति जताई थी और सरकार से कहा था कि वह प्रस्ताव को फिर से भेजे।
अब समय की अड़चन, एक माह में करना होगा काम
मुसीबत यह है कि योजना के लिए अब एक माह का समय ही बचा है। प्रदेश सरकार की ओर से अक्तूबर माह में यह प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। कोरोना के कारण काम प्रभावित हुआ और अब फरवरी में सरकार को इस योजना के लिए अनुमति मिल पाई। वन अधिकारियों ने स्वीकार किया कि 31 मार्च से पहले ही इस योजना को लागू करना होगा।
ग्राम प्रहरियों की योजना के 40 करोड़ रुपये के साथ ही कैंपा के तहत 128 करोड़ रुपये की योजनाओं को केंद्र ने स्वीकार कर लिया है। ग्राम प्रहरियों की योजना कोअब जल्द से जल्द लागू करने की कोशिश की जाएगी।
- हरक सिंह, वन मंत्री हरक सिंह