कोरोना संक्रमित |
उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित मामलों के साथ मरीजों की मौत के मामले भी थमने लगे हैं। लगातार दूसरे दिन एक भी संक्रमित मरीज की मौत नहीं हुई है, जबकि पांच जिलों में 47 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं। कुल संक्रमितों की संख्या 96867 हो गई है। इसमें 93160 मरीजों ने कोरोना को मात दी है। वर्तमान में 615 सक्रिय मरीजों का इलाज चल रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को 7859 सैंपलों की जांच रिपोर्ट निगेटिव मिली है। देहरादून जिले में 17 कोरोना मरीज मिले हैं। हरिद्वार में 16, नैनीताल में आठ, चमोली जिले में पांच, ऊधमसिंह नगर जिले में एक संक्रमित मिला है।
प्रदेश में अब तक 1680 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं, आज 99 मरीजों को ठीक होने के बाद घर भेजा गया। इन्हें मिला कर 93160 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। हरिद्वार और नैनीताल को छोड़ कर बाकी 11 जिलों में सक्रिय मरीजों की संख्या सौ से कम है। जबकि हरिद्वार में 149 और नैनीताल जिले में 101 एक्टिव केस हैं। संक्रमितों की तुलना में ठीक होने वालों की संख्या अधिक होने से प्रदेश में रिकवरी दर 96.17 प्रतिशत हो गई है।
कोविड टीकाकरण में चमोली और चंपावत जिले सबसे आगे
कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेश में चल रहे टीकाकरण में चमोली व चंपावत जिले सबसे आगे हैं। दोनों जिलों में 89-89 हेल्थ वर्करों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। मैदानी जिलों की तुलना में पर्वतीय जिलों में टीकाकरण की प्रतिशत ज्यादा है।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पहले चरण में 102812 राज्य और केंद्रीय सेवा के स्वास्थ्य कर्मचारियों को वैक्सीन लगाई जानी है। इसमें 77648 को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। वहीं, 85421 फ्रंटलाइन वर्करों में से 38 हजार को वैक्सीन की पहली डोज दी गई। चमोली व चंपावत जिले में सबसे अधिक 89-89 हेल्थ वर्करों ने वैक्सीन लगवाई है। जबकि उत्तरकाशी जिले में 88 स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। पिथौरागढ़, टिहरी व रुद्रप्रयाग जिले में 80 से अधिक हेल्थ वर्करों का टीकाकरण किया गया।
कोविड वैक्सीन का जिलावार ब्योरा
जिला हेल्थ वर्कर फ्रंट लाइन वर्कर (प्रतिशत में)
अल्मोड़ा 76 68
बागेश्वर 81 83
चमोली 89 30
चंपावत 89 48
देहरादून 68 30
हरिद्वार 72 43
नैनीताल 78 51
पौड़ी 78 39
पिथौरागढ़ 81 38
रुद्रप्रयाग 84 56
टिहरी 84 51
ऊधम सिंह नगर 77 58
उत्तरकाशी 88 57
1666 स्वास्थ्य कर्मियों ने लगवाया कोरोना का दूसरा टीका
प्रदेश में स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज लगनी शुरू हो गई है। सोमवार को प्रदेश भर में 1666 स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन की दूसरी खुराक दी गई। इसके अलावा 6376 स्वास्थ्य और फ्रंट लाइन वर्करों को वैक्सीन की पहली डोज लगवाई गई।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कोविड टीकाकरण का अभियान सुचारु रूप से चल रहा है। वैक्सीन की पहली डोज के 28 दिन पूरे करने वाले हेल्थ वर्करों को दूसरी डोज लगवाने का काम शुरू हो गया है। 13 जिलों में कुल 118 बूथों पर 1666 स्वास्थ्य कर्मियों को दूसरी डोज लगाने के साथ 6376 स्वास्थ्य व फ्रंट लाइन वर्करों को वैक्सीन की पहली डोज दी गई।
राज्य कोविड कंट्रोल रूम के चीफ आपरेटिंग आफिसर डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि जिन हेल्थ वर्करों को वैक्सीन की पहली डोज दी गई है। उन्हें 28 दिन के बाद दूसरी डोज अनिवार्य रूप से लगाई है। दूसरी डोल लगवाने के 14 दिन एंटीबॉडी बननी शुरू होगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अभी तक वैक्सीन लगाने से किसी तरह का गंभीर मामला सामने नहीं आया है।
कोरोना टीका लगाने पर भी एहतियात जरूरी
कोरोना टीके के बाद मास्क पहनना और शारीरिक दूरी बनाना बहुत जरूरी है। टीके की दूसरी डोज लगने के बाद शरीर में एंटी बॉडी बनने में 14 दिन का समय लगता है। इस दौरान कोरोना सुरक्षा नियमों को पालन करना बहुत जरूरी है। मास्क और शारीरिक दूरी की अनदेखी सें संक्रमित होने का खतरा बना रहता है।
जिले में करीब 25 हजार से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्करों को कोरोना का टीका लग चुका है। स्वास्थ्यकर्मियों को बूस्टर डोज लगनी भी शुरू हो गई। कोरोना टीकाकरण के बाद कई लोग कोरोना सुरक्षा नियमों को लेकर लापरवाही बरत रहे हैं।
सीएमओ डा. एसके झा ने बताया कोरोना के पहले टीके के 28 दिन बाद बूस्टर डोज लगती है। बूस्टर डोज लगने के बाद मास्क पहनना बहुत जरूरी है। सीएमओ ने बताया कि टीकाकरण के बाद एंटी बॉडी बनने का अधिकतम समय तीन सप्ताह है।
हालांकि अधिकांश लोगों में दो सप्ताह के दौरान ही एंटी बॉडी बननी शुरू हो जाती है। डॉ. झा ने बताया कि यदि व्यक्ति इस दौरान बचाव के उपाय नहीं करता है तो उसके संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है।