नैनीताल: आगामी 2022 के विस चुनाव के लिए वोट की सियासत परवान चढ़ने लगी है। खासकर क्षेत्रीय राजनीतिक दल वोटों की फसल उगाने के लिए अलग राज्य आंदोलन के दौरान के मुद्दों को जोरशोर से उठा रहे हैं। चुनाव तैयारी को लेकर अब तक निष्क्रिय उक्रांद भी अब सियासी समर में कूद पड़ा है।
2022 के चुनावों को लेकर राज्य में अचानक गतिविधियां बढ़ गई हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस खुद को सत्ता की स्वाभाविक दावेदार बता कार्यकर्ताओं में जोश जगाने की कोशिश कर रही है मगर गुटबाजी के साथ ही जनाधार वाले नेताओं की कमी उसकी चुनावी धार को कुंद कर रही है। उधर दिल्ली की सत्ताधारी आप ने कांग्रेस को सत्ता की दौड़ से बाहर बताकर स्थान बनाने में जुटी है। आप ने तमाम क्षत्रपों को अपने पाले में लाकर चुनाव को लेकर गंभीर होने का संकेत दिया है।
आप की नजर पहाड़ के बजाय कुमाऊं में तराई तथा गढ़वाल में देहरादून, हरिद्वार की सीटों पर अधिक है। क्षेत्रीय दल उक्रांद के शीर्ष नेताओं में भले ही एका हो गई हो मगर उनकी सुस्ती व संगठन को लेकर बेरुखी आधार मजबूत बनाने में रोड़ा बनी है। इधर सत्ताधारी भाजपा विपक्षी दलों की ओर से बनाए जा रहे माहौल से आशंकित तो है मगर उसकी रणनीति मोदी मैजिक के संगठन के दम पर फिर से जीत हासिल करने की है।
बेरोजगारी, पलायन फिर बनेगा मुद्दा
राज्य के विस् चुनाव में बेरोजगारी व पलायन फिर से मुद्दा बनेगा। आप के साथ ही उक्रांद व कांग्रेस ने भी बिजली पानी मुफ्त के वादे के साथ उतरने के संकेत दिए हैं। बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य भी मुद्दा बनेगा। रोजगार के मोर्चे पर असफलता भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। बहरहाल मुद्दे पुराने हैं, ऐसे में राजनीति की पिच पर बेटिंग तेज होने के आसार बने हैं।