हरिद्वार कुंभ |
हरकी पैड़ी के मंदिरों के पुजारी और तख्तों पर बैठने वाले पुरोहित अब एक वेशभूषा में नजर आएंगे। इसके साथ ही मंदिरों को भी तीन रंग में रंगवाने की तैयारी की जा रही है। मंदिरों को पीले, भगवा और केसरी रंग से रंगा जाएगा। वहीं हरकी पैड़ी पर लगे तख्तों पर भी भगवा रंग की छतरी नजर आएगी। इसके लिए तैयारी श्री गंगा सभा में शुरू कर दी है।
हरिद्वार कुंभ 2021ः तीर्थनगरी में खिला रंगबिरंगे फूलों का संसार, करेगा श्रद्धालुओं और साधु-संतों का स्वागत, तस्वीरें
कुंभ 2021 के लिए हरिद्वार को नया रूप दिया जा रहा है। रंग और रोशनी का दिव्यता व भव्यता के लिए बहुत ही महत्व होता है। शहर में कलर कोडिंग प्रशासन करा रहा है। हरकी पैड़ी के मंदिरों को भी भव्यता और दिव्यता प्रदान करने के लिए रंगों से सजाया जा रहा है।
पहले हरकी पैड़ी के मंदिर पर लाल और सफेद रंग होते थे। इस बार पीला, भगवा व केसरिया रंग का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके साथ ही हरकी पैड़ी के तख्तों पर बैठने वाले पुरोहितों और मंदिरों के पुजारी भी एक ही वेशभूूषा में नजर आएंगे। इसके साथ ही श्रद्घालुओं के आस्था के भाव भी हरकी पैड़ी के लिए अलग ही नजर आएंगे।
वेशभूषा भगवा, पीला, क्रीम या सफेद कलर की हो सकती है। श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि गंगा सभा ने सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार इस बार मंदिरों को पीला और भगवा केसरिया रंग से रंगवाया जा रहा है।
हरकी पैड़ी हुई तारों से मुक्त
हरकी पैड़ी क्षेत्र को पूरी तरह से तारों से मुक्त कर दिया गया है। बिजली के तारों के साथ ही सीसीटीवी के तार भी भूमिगत किए गए हैं। इस बार श्रद्घालुओं को पूरी तरह हरकी पैड़ी तार मुक्त दिखेगी।
जूता स्टाल भी किए गए बाहर
हरकी पैड़ी क्षेत्र से सभी जूता स्टॉलों को भी बाहर कर दिया गया है। हरकी पैड़ी क्षेत्र को पूरी तरह से जूता मुक्त कर दिया गया है। अभी तक हरकी पैड़ी के आसपास ही सभी जूता स्टाल थे।
पैर धोने के लिए बनी क्यारी
हरकी पैड़ी पर स्नान के लिए जाने वाले श्रद्घालुओं को अब पैर धोकर ही गंगा में जाना होगा। इसके लिए पैर धोने की क्यारी बनाई जा रही है। जिससे पवित्रता व स्वच्छता का ध्यान रखा जाएगा।
राजा मानसिंह की छतरी का होगा सौंदर्यीकरण
23 साल से अर्द्ध निर्मित राजा मानसिंह की छतरी का भी सौंदर्यीकरण शुरू होगा। इसके लिए पत्थरों पर नक्काशी का कार्य राजस्थान में चल रहा है। इस छतरी के सौंदर्यीकरण के लिए श्रीगंगा सभा ने 23 सालों तक लड़ाई लड़ी है।
संतों के फैसले के साथ पंतजलि
वहीं पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने महाकुंभ की अवधि एक महीने किए जाने के सवाल पर कहा कि पतंजलि योगपीठ संत-महंतों और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के फैसले के साथ खड़ा है।