हरिद्वार: फर्जी दस्तावेजों के जरिए लाखों रुपए में बेचे हर की पौड़ी के मंदिर! ट्रस्ट ने दर्ज कराया केस

Ankit Mamgain

हर की पौड़ी में दो मंदिरों को बेचने का आरोप
हर की पौड़ी में दो मंदिरों को बेचने का आरोप 

 हरिद्वार तीर्थनगरी की बात की जाए तो हर की पौड़ी का नाम सबसे पहले ध्यान में आता है. यहां स्थित 16वीं शताब्दी के दो मंदिरों को फर्जी दस्तावेज के जरिए बेच देने का मामला सामने आया है. इन दो मंदिरों को बेच देने के आरोप मां-बेटे पर लगे हैं. मंदिरों की देखरेख करने वाले कौरा देवी ट्रस्ट की ओर से नगर कोतवाली में एक मुकदमा दर्ज किया गया है. ट्रस्ट के सचिव विशाल शर्मा ने मोहित पुरी और उनकी मां पुष्पा पुरी पर लाखों रुपए में दोनों मंदिरों का सौदा करने के आरोप लगाए गए हैं.  

हरिद्वार में लाखों रुपये में बेच दिए हरकी पैड़ी के मंदिर, जानें पूरा मामला

विशाल शर्मा का दावा है कि ट्रस्ट जिन कौरा देवी पत्नी रघुवंश पुरी के नाम पर है उन्होंने इस संबंध में वसीयत की थी. 1980 में महंत रघुवंश पुरी कौरा देवी ट्रस्ट बनाया गया था. इस ट्रस्ट के अधीन हर की पौड़ी के ब्रह्मकुंड पर मौजूद प्राचीन मां गंगा मंदिर और अष्ठखंबा मंदिर आते हैं. मोहित पुरी और उनकी मां पुष्पा पुरी पर आरोप हैं कि उन्होंने खुद को कौरा देवी का वारिस बताते हुए ट्रस्ट के मालिकाना हक वाले मंदिरों और अन्य संपत्ति को फर्जी तरीके से से बेच दिया. मोहित पुरी के पिता राम पुरी उर्फ प्रसन्न कुमार के बारे में कौरा देवी की ओर से साफ किया गया था कि उनका (राम पुरी) या किसी और उत्तराधिकारी  का कौरा देवी की संपत्ति पर कोई हक नहीं रहेगा. ये बात कौरा देवी की ओर से 20 नवंबर 1978 के पंजीकृत निरस्तीकरण में साफ की गई थी.  


नगर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अमरजीत सिंह ने मुकदमा दर्ज होने की पुष्टि की है. साथ ही बताया कि मामले की जांच की जा रही है. विशाल शर्मा का आरोप है कि मंदिर में पुजारी का काम करने वाले लोगों को ही दोनों मंदिरों की रजिस्ट्री फर्जी तरीके से कर दी गई. जबकि ट्रस्ट की संपत्ति बेचने का अधिकार किसी को भी नहीं है. 


हरिद्वार में कौरा देवी ट्रस्ट एक प्रमुख संस्था है. कौरा देवी के पति महंत रघुवंश पुरी हरिद्वार के जमींदार थे. हर की पौड़ी में दोनों मंदिरों  के अलावा, भीमगोडा रोड पर प्राचीन काली मंदिर, भीमगोडा कुंड और बारादेवी मंदिर भी ट्रस्ट के ही अधीन आते हैं.  


विशाल शर्मा का ये भी दावा है कि मोहित पुरी के पिता राम पुरी, कौरा देवी के यहां काम करने वाले एक कर्मचारी के लड़के थे, और बदनीयत की वजह से खुद को कौरा  देवी का दत्तक पुत्र (गोद लिया पुत्र) बताने लगे, जिसका निरस्तीकरण कौरा देवी ने 1978 में सब रजिस्ट्रार आफिस में दर्ज करवा दिया था. ये मामला बाद में निचली कोर्ट और हाईकोर्ट में भी गया. वहां भी ये माना गया कि राम पुरी न तो कोरा देवी के दत्तक पुत्र हैं और न ही कोई शिष्य.  


 विशाल शर्मा के मुताबिक अब ट्रस्ट की जानकारी में ये आया है कि मोहित और पुष्पा पुरी ने ट्रस्ट से संबंधित अष्टखंबा मंदिर, गंगा मंदिर (जो कि हिन्दू धरोहर  है), भीमगोडा का मंदिर, प्राचीन काली मंदिर फर्जी दस्तावेज के जरिए बेच दिए हैं.    


 ट्रस्ट के मुताबिक ये मामला संज्ञान में आने के बाद मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई शुरू की गई. ट्रस्ट सचिव का ये भी कहना है कि मंदिर जिन्होंने खरीदा वो  कभी मंदिर में पूजा कराने वाले पुजारी ही है. ये मंदिर कमर्शियल प्रॉपर्टी के तौर पर खरीदे गए हैं. जबकि ये मंदिर 16वीं शताब्दी के मंदिर हैं. 

 

 ट्रस्ट सचिव का दावा है कि अष्टखंबा मंदिर 47 लाख में, मां गंगा का ब्रह्मकुंड स्थित मंदिर 30 लाख रुपए में बेचा गया है. ऐसे ही भीमगोडा स्थित मां काली के  प्राचीन मंदिर का 21 लाख 50 हजार रुपए में सौदा किया गया. इसी तरह रघुवंश गिरी का घेर और दो दुकानों समेत अन्य भी संपत्ति हैं जो बेची गईं हैं. 


हरिद्वार कोतवाली प्रभारी अमरजीत का कहना है कि ''कौरा देवी ट्रस्ट के सचिव विशाल शर्मा ने तहरीर देकर कोतवाली में केस दर्ज कराया है. मोहित पुरी और पुष्पा देवी पर धोखाधड़ी से कुछ मंदिरों की बिक्री के आरोप हैं. इस मामले की जांच एसआई अरविंद रतूड़ी को सौंपी गई है. जो भी जांच में सामने आएगा, उसके आधार पर  नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.'' 

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