सेंटिनल जनजाति हजारों वर्षों से दुनिया से अलग-थलग रह रही है. ऐसा माना जाता है कि वे इसलिए दुनिया से अलग रह रहे हैं क्योंकि वे आम लोगों की बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं.
अंडमान निकोबार द्वीप समूह की सेंटिनल जनजाति द्वारा एक अमेरिकी पर्यटक की हत्या की घटना आजकल चर्चा में है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि अमेरिकन पर्यटक जॉन एलेन चाऊ सेंटिनल द्वीप पर ईसाई धर्म का प्रचार करना चाह रहे थे लेकिन सेंटिनल जनजाति के आदिवासियों द्वारा उनकी तीरों से हमला करके हत्या कर दी गई.
दरअसल, सेंटिनल जनजाति हजारों वर्षों से दुनिया से अलग-थलग रह रही है. ऐसा माना जाता है कि वे इसलिए दुनिया से अलग रह रहे हैं क्योंकि वे आम लोगों की बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं. भारत के मानवशास्त्री त्रिलोकनाथ पंडित एकमात्र व्यक्ति हैं जो इस जनजाति से संपर्क स्थापित करने में सफल रहे थे. उन्होंने वर्ष 1966 से 1991 के बीच इस द्वीप की कई यात्राएं की थीं.
जॉन एलेन चाऊ हत्या घटनाक्रम |
अमेरिकी नागरिक जॉन एलन की हत्या के बाद मछुआरों ने पुलिस को बताया कि वे 14 नवंबर 2018 को सेंटिनेलिस द्वीप पर जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन असफल रहे. पहले प्रयास में असफल होने के दो दिन बाद 16 नवंबर को जॉन पूरी तैयारी के साथ फिर से द्वीप पर पहुंचे, इस दौरान उन्होंने अपनी नाव बीच रास्ते में ही छोड़ दी और टेंट के साथ थोड़ा और सामान लेकर द्वीप में प्रवेश कर गए. स्थानीय मछुआरों ने मीडिया को बताया कि जॉन ने जैसे ही द्वीप में कदम रखा सेंटिनेलिस समुदाय के आदिवासियों ने उन पर तीर-कमान से हमला कर दिया. जॉन की हत्या करने के बाद सेंटिनेलिस समुदाय के लोग उनके शव को रस्सी में बांधकर घसीटते हुए समुद्र तट तक ले गए और शव को रेत में दफना दिया. इस घटना को देखकर मछुआरे वहां से डरकर भाग गए. |
सेंटिनल जनजाति के बारे में रोचक जानकारी
जारवा जनजाति के बारे में रोचक जानकारी
• जारवा जनजाति के आदिवासी रंग में गहरे काले और कद में छोटे होते हैं. बच्चे का रंग थोड़ा भी गोरा हो तो ये मानते हैं कि उसका पिता दूसरे समुदाय का है, और बच्चे की हत्या कर देते हैं. जिसके लिए समुदाय में कोई दंड नहीं है. पुलिस को इसमें दखल न देने का आदेश है.
• जारवा जनजाति के लोग तीर धनुष तथा भालों से जानवरों का शिकार करते हैं और उन्हें भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं. कहा जाता है कि ये लोग शहद को भी पसंदीदा भोजन मानते हैं. इनकी आबादी प्रतिवर्ष घटती देखी गई है, एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में इनकी आबादी 250 से 400 के बीच है.
• वर्ष 1956 में जारवा समेत अंडमान निकोबार की पांच जनजातियों को मूल जनजाति का दर्जा दिया गया जिनमें ग्रेट (महान) अंडमानी, ओन्गे और सेंटीनली भी शामिल थे.