Republic Day 2021: शादी के पांच महीने बाद ही आजादी की लड़ाई में कूद पड़ी थीं सत्यवती, पति के साथ मिलकर लड़ी थी जंग

Ankit Mamgain

सत्यवती सिन्हा
सत्यवती सिन्हा

 स्वतंत्रता सेनानी सत्यवती सिन्हा ने देश की आजादी के लिए अपने पति जगदीश नारायण के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी थी। शादी के पांच माह बाद ही वह आजादी की लड़ाई का हिस्सा बन गई थीं। गांव-गांव जाकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लोगों को महात्मा गांधी के साथ आने के लिए प्रेरित किया। आज भी आजादी में दिए गए उनके योगदान को याद कर शहरवासी खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं।



उत्तराखंड में रुड़की के बीटी गंज निवासी सत्यवती सिन्हा ने देश की आजादी के लिए पति के साथ मिलकर अंग्रेजों से लोहा लिया। वह कई बार जेल गईं और अंग्रेजों की यातनाएं सहीं, लेकिन देशभक्ति के आगे यह सब बेअसर रहा। सत्यवती सिन्हा का विवाह 16 वर्ष की आयु में आठ मार्च 1942 को स्वतंत्रता सेनानी जगदीश नारायण सिन्हा के साथ हुआ। वह भी उस समय देश की आजादी के लिए लड़ रहे थे।



पति के साथ ही वह भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ीं और शादी के मात्र पांच माह बाद ही अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल बजा दिया। नौ सितंबर 1942 को उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जुलूस निकाला और लोगों को देशभक्ति के लिए प्रेरित किया।


जब जुलूस की जानकारी अंग्रेजों को लगी तो उन्होंने सत्यवती सिन्हा को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, कम उम्र को देखते हुए उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, लेकिन उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। इसके चलते सत्यवती सिन्हा के गिरफ्तारी वारंट जारी हो गए, लेकिन उन्होंने इसकी परवाह किए बिना गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया। 

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पर्चे बांटे

10 अप्रैल वर्ष 1943 को मेरठ में सीआईडी सुप्रिटेंडेंट पद्म सिंह ने घेराबंदी कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 10 दिन तक बरेली की कोतवाली में उनसे पूछताछ की गई। इसके बाद जेल भेज दिया गया। जेल के भीतर भी उन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष जारी रखा। वहां बंद कैदियों को उन्होंने आजादी के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।


जेल से छूटने के बाद वह फिर से आजादी की लड़ाई में कूद पड़ीं। इसके बाद कई बार गिरफ्तार और रिहा हुईं। उन्होंने जो सपना देखा था वह 15 अगस्त 1947 को पूरा हुआ और देश आजाद हो गया। उस समय वह इलाहाबाद में थीं। इसके बाद अपनी बड़ी बेटी किरण कौशिक के साथ रुड़की में रहती थीं।


आखिरी सांस तक निभाया पति को दिया वचन

स्वतंत्रता सेनानी सत्यवती सिन्हा का जब विवाह हुआ था, उस समय वह महज 16 साल की थीं। पति जगदीश नारायण सिन्हा देश की आजादी के लिए पूरी तरह समर्पित थे। उन्होंने शादी के समय सत्यवती से वचन लिया था कि वह खादी ही पहनेंगी।


सत्यवती की बेटी किरण कौशिक बताती हैं कि उनकी मां ने आखिरी सांस तक यह वचन निभाया। वह खादी की साड़ी ही पहनती थीं। किरण कौशिक एक प्ले स्कूल चलाती हैं। उन्होंने बताया कि मां जब भी स्कूल में आती थीं तो हमेशा बच्चों को देशभक्ति से जुड़ी बातें और गीत सुनाती थीं।

Source

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!