ट्रैफिक के नियम का पालन करें |
27 फरवरी से शुरू होने जा रहे कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं ने यातायात के नियम तोड़े तो उन्हें खामियाजा भुगतना होगा। परिवहन विभाग ने कुंभ के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। इसके तहत एक ओर जहां श्रद्धालुओं की टैक्स संबंधी सुविधाओं के लिए छह अस्थायी चेकपोस्ट बनाई जा रही हैं तो दूसरी ओर 126 जवानों की भी तैनाती की जाएगी।
कुंभ मेले में परिवहन विभाग के अपर नोडल अधिकारी संदीप सैनी ने बताया कि पहले मेले के लिए अलग से वाहन खरीदने की योजना थी, लेकिन अब मेले की कम अवधि के चलते यह प्रस्ताव टाल दिया गया है। इसके बजाए टैक्सी से काम चलाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कुंभ मेले में परिवहन विभाग की छह प्रवर्तन टीमें तैनात रहेंगी जो कि यातायात नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी। इसके अलावा श्रद्धालुओं की टैक्स संबंधी समस्याओं के अलावा अन्य व्यवस्थाओं के लिए छह अस्थायी चेकपोस्ट बनाई जा रही हैं।
मेले में परिवहन विभाग को 126 पीआरडी जवान या होमगार्ड की जरूरत पड़ेगी, जिसके लिए मेला अधिकारी से दो स्तर की वार्ता हो चुकी है। जल्द ही इनकी तैनाती का भी आदेश जारी कर दिया जाएगा। यह जवान मेले के दौरान प्रवर्तन टीमों और नोडल व चेकपोस्ट पर तैनात किए जाएंगे। मेले में परिवहन विभाग का नोडल कार्यालय भी खुलेगा।
मेला अधिकारी ही करेंगे पूरी व्यवस्था
कुंभ मेले में बनने वाले नोडल कार्यालय और अस्थायी चेकपोस्ट में कंप्यूटर से लेकर बिजली-पानी तक की सभी व्यवस्थाएं मेला अधिकारी ही करेंगे। अपर नोडल अधिकारी संदीप सैनी ने बताया कि मेले में किसी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए लगातार परिवहन विभाग की टीमें हरिद्वार का दौरा और बैठकें कर रही हैं।
कुंभ कार्यों पर मातृसदन ने उठाए सवाल
मातृसदन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कुंभ कार्यों को लेकर सरकार और मेला प्रशासन पर कई आरोप जड़े हैं। उन्होंने कहा है कि निर्माण कार्यों में बड़ी अनियमितताएं बरती जा रही हैं।
जगजीतपुर स्थित मातृसदन आश्रम में परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दिव्य और भव्य कुंभ की बात कह रहे हैं, दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण का हवाला दिया जा रहा है। जिससे साफ है कि सरकार की मंशा कुंभ न कराकर केेवल कुंभ के नाम पर करोड़ों की बंदरबांट करना है।
उन्होंने कहा कि कुंभ कार्यों में केवल लीपापोती की जा रही है। बैरागी कैंप से नीलधारा तक जाने में सबसे पहले पड़ने वाली गंगा की धारा को भी सूखा दिया गया है, जिससे यहां कोई अस्थायी पुल का निर्माण नहीं किया गया है, जबकि यहां पिछले कुंभ में अस्थायी पुल बनाया गया था।
उन्होंने कहा कि गंगा को यहां सूखा दिए जाने से बैरागी कैंप क्षेत्र के लोग भी स्नान नहीं कर पा रहे हैं। वहीं, इस बार अस्थायी पुल न बनाना बड़ी लापरवाही साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि उनके आश्रम में बनाए गए पुल की रेलिंग के पोलों पर कैप भी नहीं लगाई गई है। उन्होंने कहा कि पुल निर्माण में उनकी बाजारी मूल्य के हिसाब से एक करोड़ 62 लाख रुपये की जमीन बिना उनकी अनुमति के ले ली गई है। जिसके बारे में प्रशासन को बार-बार पत्र लिखा जा रहा है, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।