प्रतीकात्मक तस्वीर |
हरिद्वार में बच्ची से दुष्कर्म और हत्या मामले में डीएनए एक्सपर्ट की टीम ने केस को और मजबूती देने का काम किया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि गला घोंटने में प्रयोग की गई रस्सी पर भी आरोपी के डीएनए मार्क मिले हैं।
इस उत्कृष्ट काम के लिए डीएनए एक्सपर्ट को भी डीजीपी अशोक कुमार ने सम्मानित किया है। बता दें कि डीएनए व अन्य वैज्ञानिक साक्ष्य आरोपियों को सजा तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। गवाह बदल जाते हैं, लेकिन वैज्ञानिक साक्ष्य अपनी जगह अडिग रहते हैं। दुष्कर्म के मामलों में यही अहम साक्ष्य कई ऐसे मुकदमों में भी सजा दिलाने में कामयाब रहे हैं जिनमें वादी तक ने कोर्ट में अपने बयान से पलट गए।
हरिद्वार में 21 दिसंबर को हुआ जघन्य कांड राज्य में सबसे बड़े मामलों में से एक है। इसमें पुलिस ने चौतरफा निगरानी कर विवेचना कर रही है। साथ ही वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने में लगे डीएनए विशेषज्ञों ने भी एक कदम आगे बढ़कर काम किया है। दरअसल, किसी भी मामले में वैजाइनल स्वैब और कपड़ों आदि पर मिले खून के धब्बों से ही डीएनए मिलान किया जाता है।
आरोपी को दिलाई जाएगी कड़ी सजा
यही साक्ष्य किसी भी आरोपी को दोषी करार देने के लिए पर्याप्त होते हैं। लेकिन, हरिद्वार के इस कांड में डीएनए एक्सपर्ट को रस्सी पर भी आरोपी के डीएनए मार्क मिले हैं। इस रस्सी से बच्ची के हाथ बांधे गए थे और फिर उसका गला घोंटा गया था। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि उन्होंने डीएनए एक्सपर्ट को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया है। उनकी इस मेहनत से आरोपी को निश्चित तौर पर कड़ी सजा दिलाई जा सकेगी।
बता दें कि नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या के मामले में मुख्य आरोपी रामतीरथ की दरिंदगी की पुष्टि फॉरेंसिक जांच में हो चुकी है। डीएनए सैंपलिंग में पुष्टि हुई थी कि दुष्कर्म रामतीरथ ने ही किया था। हालांकि, दूसरे आरोपी (रामतीरथ का मामा) का डीएनए मिलान नहीं हुआ था।