Budget 2021 Expectations: चुनावी साल में उत्तराखंड को केंद्र सरकार से ग्रीन बोनस की दरकार

Ankit Mamgain

उत्तराखंड शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक
उत्तराखंड शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक

 चुनावी साल में उत्तराखंड सरकार को केंद्रीय बजट से ग्रीन बोनस की दरकार है। सरकारी चाहती है कि पर्यावरणीय सेवाओं के बदले केंद्र सरकार उसे कम से कम सात हजार करोड़ रुपये सालाना धनराशि दे। इस धनराशि का इस्तेमाल वह राज्य के विकास कार्यों में करना चाहती है, ताकि पर्यावरणीय और वन संरक्षण अधिनियम की बंदिशों की वजह पहाड़ और मैदान के बीच विकास की विषमता की खाई को पाटा जा सके। कुछ दिन पहले शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीता रमण से भी केंद्रीय बजट में ग्रीन बोनस देने का अनुरोध किया था।



ग्रीन बोनस की मांग के पीछे तार्किक आधार

राज्य सरकार की ग्रीन बोनस की मांग के पीछे एक तार्किक आधार है। उत्तराखंड उन हिमालयी राज्यों में है, जिसका बहुत बड़ा भूभाग वनीय है। उत्तराखंड राज्य में करीब 71 प्रतिशत वन क्षेत्र है। इसका करीब 46 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र है। राज्य के पर्वतीय जिलों में 90 से 95 प्रतिशत भूभाग वनों से घिरा है। साफ है कि पहाड़ में विकास की रफ्तार पर पर्यावरणीय एवं वन संरक्षण से जुड़ी बंदिशों की लगाम है। विकास की सीमित गति के चलते पहाड़ खाली हो रहे हैं। पलायन की गति ने प्रदेश की हर सरकार को चिंता में डाला है। 


वन और पर्यावरण से हमारा सांस्कृतिक रिश्ता 

वनों से उत्तराखंड सांस्कृतिक रिश्ता है। देश का संभवत: अकेला राज्य है जहां ग्राम पंचायतों से अधिक वन पंचायतें हैं। इनकी संख्या करीब 10 हजार है। वनों की सुरक्षा, उनका संरक्षण और प्रबंधन ये वन पंचायतें करती हैं। 


पहाड़ को चुकानी पड़ रही है बड़ी कीमत

वनों से उत्तराखंड को उतना लाभ नहीं मिलता, जितना मैदानी जिलों को वन विहीन भूमि से मिलता है। जानकारों के अनुसार, दो से तीन प्रतिशत वन क्षेत्र वाले हरिद्वार और देहरादून का जीडीपी में 45 से 50 प्रतिशत का योगदान है। लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में वन क्षेत्र से जीडीपी में बेहद मामूली योगदान है। पहाड़ को विकास की बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।

पर्यावरणीय सेवाओं का मूल्यांकन किया

इसलिए राज्य सरकार पर्यावरणीय सेवाओं का मूल्यांकन किया। अध्ययन के जरिये 21 पर्यावरणीय सेवाओं का मूल्य निकाला। नियोजन विभाग के कराए गए अध्ययन के अनुसार, राज्य मे पर्यावरणीय सेवाओं की फ्लो वेल्यू 95 हजार करोड़ रुपये सालाना है, जो राज्य की जीडीपी का करीब 43 प्रतिशत है। वन क्षेत्र की स्टॉक वेल्यू करीब 15 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है, जो जीडीपी का साढ़े छह गुना है। इसमें टिंबर, कार्बन स्टोरेज व अन्य सेवाएं शामिल हैं। इन सबके बदले में केंद्र सरकार से राज्य सरकार ग्रीन बोनस के रूप में करीब सात हजार करोड़ की सालाना मांग कर रही है।


ग्रीन बोनस मिलने से होंगे ये फायदे

राज्य सरकार की अपेक्षा के अनुसार यदि केंद्र ग्रीन बोनस की मुराद पूरी करता है तो इसका बड़ा फायदा राज्य सरकार को नई योजनाओं को शुरू करने में मिलेगा। यह ऐसी धनराशि होगी, जिसे वह अपनी इच्छा से खर्च कर सकेगी। चुनावी साल में उसे नई योजनाओं को शुरू कर अपने पक्ष में माहौल बनाने में भी मदद मिल सकेगी।


हम केंद्र सरकार से आशा कर रहे हैं कि हमें ग्रीन बोनस के एवज में धनराशि मिलेगी। ग्रीन एकाउंटिंग के एक अध्ययन के अनुसार, उत्तराखंड प्रतिवर्ष 95 हजार करोड़ रुपये की पर्यावरणीय सेवाए दे रहा है। लेकिन इसके एवज में उसे  विकास को सीमित करने की कीमत चुकानी पड़ रही है।

- मदन कौशिक, शासकीय प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड सरकार


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