उत्तराखंड में कोरोना: टीकाकरण में बड़ी गिरावट, मई में अप्रैल की तुलना में पांच लाख टीके कम लगे

उत्तराखंड में पिछले दो महीने में अभियान के दौरान करीब पांच लाख वैक्सीन कम लगी हैं। अप्रैल की तुलना में मई में टीकाकरण में 38 फीसदी की गिरावट रही।

कोरोना टीकाकरण
कोरोना टीकाकरण

 उत्तराखंड में पिछले दो महीने में अभियान के दौरान करीब पांच लाख वैक्सीन कम लगी हैं। अप्रैल की तुलना में मई में टीकाकरण में 38 फीसदी की गिरावट रही। जबकि 45 वर्ष और ऊपर के लोगों के टीकाकरण के साथ 18 से 44 वर्ष के लोगों का टीकाकरण शुरू होने से यह उम्मीद की जा रही थी कि मई में अप्रैल से अधिक टीकाकरण होगा।



ये हैं आंकड़ें

- अप्रैल में 1338530 लोगों का हुआ टीकाकरण।

-  मई में 833149 लोगों का हुआ टीकाकरण।

- अप्रैल की तुलना में मई में 505381 टीके कम लगे।

- 38 फीसदी कम हुआ मई महीने में टीकाकरण।


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किस महीने में कितना टीकाकरण

माह      वैक्सीनेशन

जनवरी       31228

फरवरी       131080

मार्च            514516

अप्रैल         1338530

मई             833149

नोट: प्रदेश में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन शुरू हुआ

स्रोत: स्वास्थ्य विभाग का हेल्थ बुलेटिन व एसडीसीएफ का विश्लेषण

दोनों डोज के लिए चाहिए 1.6 करोड़ डोज

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनीटीज फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल के मुताबिक कोविड 19 महामारी से बचाव के लिए राज्य में कम से कम 70 फीसदी आबादी को टीके की दोनों डोज दे देनी चाहिए। राज्य की करीब 1.15 लाख की आबादी के तहत 70 फीसदी लोगों की दोनों डोज पूरी करने को 1.6 करोड़ टीकों की जरूरत है।


दिसंबर तक हो जाएगा टीकाकरण

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने टीकाकरण की सुस्त रफ्तार पर कहा कि इस दिशा में केंद्र सरकार पूरी तरह से गंभीर है। जैसे-जैसे टीकों का उत्पादन हो रहा है, उन्हें राज्यों को भेजा जा रहा है। दिसंबर तक सभी लक्षित लोगों का टीकाकरण कर दिया जाएगा।


45 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों का टीकाकरण चल रहा है। 18 से 45 वर्ष के टीके की खेप जल्द केंद्र सरकार से प्राप्त हो जाएगी। विदेशों से टीके मंगाने के लिए टेंडर की प्रक्रिया भी जारी है।

- सुबोध उनियाल, शासकीय प्रवक्ता, उत्तराखंड सरकार


टीकाकरण में यह गिरावट निराशाजनक है। ऐसी कठिन परिस्थितियों में हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि हम समाधान तलाशें। राज्य सरकार को तथ्यों और तर्कों के आधार पर केंद्र सरकार से वकालत करने की जरूरत है। हमारे यहां डेथ रेट ज्यादा है। मानसून आ रहा है। इससे पहले युद्धस्तर पर प्रयास की जरूरत है।

- अनूप नौटियाल, संस्थापक, एसडीसीएफ

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